राम के धनुष तोड़ते ही सीता ने पहनाई वरमाला
रावण-वाणासुर तथा लक्ष्मण-परशुराम के बीच के गर्मागर्म संवादों पर दर्शकों ने पीटीं तालियां
कोंच (पीडी रिछारिया)। चल रहे रामलीला महोत्सव में शनिवार रात रामलीला रंगमंच पर धनुर्भङ्ग लीला का उम्दा मंचन हुआ जिसमें मिथिला नरेश महाराज जनक सीता स्वयंवर का आयोजन कर घोषणा करते हैं कि जो भी शिव धनुष पिनाक पर प्रत्यंचा चढाएगा उसी के साथ जनकनंदिनी सीता का विवाह होगा। सीता को वरण करने के लिए देश देशांतर के राजा-महाराजा, भूपाल, देवता, नाग, गंधर्व, किन्नर आदि राजाओं के वेश में जनक की रंगशाला में पधारते हैं और धनुष उठाने के प्रयास करते हैं लेकिन वे उसे हिला भी न सके। तब विश्वामित्र की आज्ञा पाकर राम धनुष का भंजन कर देते हैं। सखियों के संग आकर जानकी सीता राम के गले में जयमाला पहना कर उनका वरण कर लेतीं हैं।
गल्ला व्यापारियों की संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित कोंच की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के जारी 171वें महोत्सव में रामलीला रंगमंच पर शनिवार रात धनुर्भङ्ग लीला का मनोहारी मंचन किया गया। इस लीला का आनंद लेने के लिये ग्राउंड में भारी भीड़ उमड़ी थी। दृश्य खुलता है, राजा जनक का दरबार सजा है, रंगभूमि में शिव धनुष पिनाक रखा है। राजा जनक के निमंत्रण पर ब्रह्मांड की अद्वितीय सुंदरी सीता का वरण करने की इच्छा मन में लिए देश देशांतर के राजा, राजकुमार रंगभूमि में प्रस्तुत होते हैं। महर्षि विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण भी वहां प्रवेश करते हैं, राजा जनक उन्हें सर्वोच्च आसन प्रदान करते हैं। तमाम राजे महाराजे और राजकुमारों ने धनुष उठाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वे उसे तिल भर भी हिला न सके। रावण और वाणासुर भी रंगभूमि में प्रवेश करते हैं और उनके बीच गर्मागर्म वाक् युद्घ का दर्शकों ने आनंद उठाया और तालियां पीटीं। बिदूषक दूल्हे के रूप में उल्टी खाट पर बारात लेकर आए राकेश गिरवासिया एवं नाऊ कक्का की भूमिका में विश्वंभर झा एवं संतोष राठौर ने एक घंटे तक दर्शकों का खूब मनोरंजन कराया।
अंत में गुरु विश्वामित्र का आदेश पाकर राम धनुष तोड़ कर राजा जनक का संताप दूर करते हैं। सखियों संग रंगभूमि में आकर सीता ने राम के गले में वरमाला डाल दी। चारों ओर से पुष्प बर्षा होने लगती है। धनुष की प्रलयंकारी ध्वनि सुन कर भगवान परशुराम का वहां प्रवेश होता है, क्रोधावेग में उनकी लक्ष्मण के साथ गर्मागर्म वार्ता का भी दर्शकों ने आनंद लिया। जनक की भूमिका बरिष्ठ रंगकर्मी राजकुमार हिंगवासिया, विश्वामित्र राजू मिश्रा, शतानंद केशव बबेले, विमति प्रमोद स्वर्णकार, सुमति जवाहर अग्रवाल, रावण रूपेश सोनी, वाणासुर संजय सिंघाल, परशुराम मुन्ना पटेरिया, सुनयना सूरज शर्मा आदि ने निभाई।