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ताले में कैद है सांसद द्वारा बनवाया गया डीलक्स प्रसाधन, हल्के होने कहां जाएं लोग

अधिकारियों की नाक के नीचे तहसील परिसर में ही है बेशुमार गंदगी

कोंच (पीडी रिछारिया) तहसील परिसर में सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। अधिकारियों की नाक के नीचे ही बेशुमार गंदगी पसरी पड़ी है और कमोवेश सभी टॉयलेट्स इतने गंदे हैं कि वहां हल्का होना कतई नामुमकिन है। सांसद द्वारा बनवाया गया सर्व सुविधायुक्त प्रसाधन ताले में कैद होकर रह गया है।

एक तरफ सूबाई सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक साफ सफाई पर न केवल फोकस कर रही हैं बल्कि स्वच्छता अभियान को लेकर पैसा भी पानी की तरह बहाया जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ इस पर अमल करने और करवाने वाले जब आंखें मूंद लें तो फिर समझा जा सकता है कि व्यवस्था में पैबंद तो दिखेंगे। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है अधिकारियों की नाक के नीचे तहसील परिसर में जहां बेशुमार गंदगी का साम्राज्य है प्रसाधन और मूतघरों में जिसके चलते न केवल अधिवक्ताओं बल्कि वादकारियों और यहां तक कि दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों तक को हल्के होने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सफाई न होने के कारण टॉयलेट गंदगी से भरे हुए हैं, यूरेनल के हालात यह हैं कि लघुशंका करने जाने वाले उन्हें देखकर ही बैरंग वापस लौट जाते हैं। सांसद विकास निधि द्वारा तहसील परिसर में ही वादकारियों और अधिवक्ताओं की सुविधा के लिए बनवाया गया डीलक्स शौचालय कॉम्पलेक्स ताले में कैद है। अब ऐसी स्थिति में लोगों के सामने मुसीबत यह है कि हल्के होने कहां जाएं।

बता दें कि तहसील में रोज ही वकील, उनके मुंशी और गांव देहात से आने वाले लोगों की तादाद सैकड़ों में होती है जिनमें किसी को लघुशंका तो किसी को दीर्घशंका का अनुभव होता है। इसके लिए सरकार ने लाखों रुपए खर्च करके एक नहीं, कई टॉयलेट तहसील परिसर में बनवाए हैं लेकिन रख रखाव नहीं होने से उनकी हालत बहुत ही बदतर है।

इधर, तहसील परिसर में ही स्थित लेकिन कैलिया बस स्टैंड की ओर खुलने वाले नगर पालिका परिषद के सार्वजनिक शौचालय में भी तालाबंदी होने के कारण आम लोगों और यात्रियों के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त साबित हो रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार लाखों रुपए क्यों इन साधनों पर खर्च करती है जब इनका कोई उपयोग ही नहीं है। पूर्व बार संघ अध्यक्ष विनोद अग्निहोत्री, वरिष्ठ अधिवक्ता द्वय अवधेश नगाइच, रामशरण सिंह कुशवाहा आदि ने इस स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी जताई और व्यवस्था में सुधार की मांग की।

पेशाब घर देखकर किसी को भी उबकाई आ जाए – भरत
तहसील में अपने काम से आए गोरा करनपुर गांव के रहने वाले भरत जब लघुशंका के लिए पेशाब घर में गए तो उनसे वहां खड़ा भी नहीं हुआ गया और उल्टे पांव वापस लौट पड़े। उनका कहना था कि पेशाब घर की हालत इतनी खराब है कि किसी को भी उबकाई आ जाए।

अधिकारियों को रोजाना ही साफ सफाई देखनी चाहिए – अख्तर
एक और शख्स ग्राम भदेवरा निवासी अख्तर भी ऐसे में वहां पहुंच गए जिन्हें दीर्घशंका का अनुभव हो रहा था। उन्होंने प्रसाधन में भरी गंदगी देखी तो उनकी दीर्घशंका जाती रही। बोले, तहसील के अधिकारियों को रोज ही साफ सफाई का मुआयना करना चाहिए।

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