स्वामी विवेकानंद इण्टर कॉलेज में अद्भुत विलक्षण शंखों का हुआ प्रदर्शन
जालौन (बृजेश उदैनिया) स्वामी विवेकानंद इन्टर कॉलेज परिसर में भारत विकास परिषद प्रमुख शाखा एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमती संध्या पुरवार व डॉ० हरि मोहन पुरवार द्वारा अपने निजी संग्रह से अद्भुत और विलक्षण शंखों, सीपों तथा कौड़ियों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। माँ सरस्वती, भारत माता, स्वामी विवेकानंद के श्रीचरणों में पुष्प अर्पण के पश्चात प्रदर्शनी का शुभारम्भ हुआ।
प्रमुख शाखा के अध्यक्ष पवन कुमार अग्रवाल, विद्यालय के प्रधानाचार्य देवेन्द्र तिवारी, डॉ० नितिन मित्तल, महिला संयोजिका श्रीमती ऊषा गुप्ता, श्रीमती कंचन अग्रवाल, सुशील प्रजापति, श्रीमती शशि अग्रवाल, श्रीमती अनीता माहेश्वरी, अखिलेश गुप्ता, अरुण पुरवार, आदित्य तिवारी, प्रेम गुप्ता, पीयूष गुप्ता, पंकज अग्रवाल, मृत्युंजय श्रीवास्तव, भाजपा अध्यक्ष अभय राजावत, कुंवर सिंह यादव, अनिल माहेश्वरी, शशिकांत द्विवेदी आदि ने अतिथियों डॉ हरीमोहन पुरवार, भाविप के प्रान्तीय महासचिव अजय महतेले, श्रीमती संध्या पुरवार, नीलम जायसवाल, त्रिशांकी तिवारी आदि का माल्यार्पण कर वो स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर डॉ0 हरि मोहन पुरवार ने शंखों के महात्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सन 1928 ई0 में बर्लिन विश्व विद्यालय में शंख ध्वनि के ऊपर विशेष अनुसंधान किया गया। जिससे यह प्रमाणित हुआ कि शंख ध्वनि द्वारा तमाम रोग फैलाने वाले कीटाणुओं का विनाश होता है। इस अनुसंधान से यह भी निष्कर्ष निकला कि शंख नाद से हैजा, गर्दन तोड बुखार, मलेरिया आदि के कीटाणु भी नष्ट होते हैं।
शिकागो (अमेरिका) के डॉ0 ब्राईन ने शंख ध्वनि से मिर्गी, मूर्छा, कन्ठमाला तथा कोढ़ के 1400 मरीजों को रोगमुक्त किया था। डॉ0 पुरवार ने आगे बताया कि आज कल फेफड़ों की बीमारी में चिकित्सकगण स्पाईरोमीटर का उपयोग करने की सलाह देते हैं। हजारों वर्षों से हमारी सनातन संस्कृति में शंख बजाने की क्रिया चली आ रही है जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों की बीमारी ही नहीं होती है तथा न ही स्पाईरोमीटर की आवश्यकता पडती है।
श्रीमती संध्या पुरवार ने कहा कि हमारे सनातन धर्म ग्रन्थों में यह वर्णन मिलता है कि समुद्र मंथन के परिणामस्वरूप शंख व माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था जिससे दोनों सहोदर भाई बहिन हुये। अतः घर में शंख के नियमित विधिवत् पूजन से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस शंख प्रदर्शनी में भगवान श्री गणेश, श्रीकृष्ण मातारानी तथा शंकर से सम्बन्धित तमाम शंख प्रदर्शित किये गये। साथ ही साथ डाक टिकटों पर अंकित विशेष शंख, सीप, कौड़ियों के सापेक्ष शंख, सीप कौड़ियों का प्रदर्शन भी आकर्षण का केन्द्र रहा।
इनके साथ मुद्राओं पर अंकित शंखों का प्रदर्शन दुर्लभ रहा। सीपों के आकार की विदेशी मुद्रायें तथा उनके अनुरूप सीपें विशेष दर्शनीय रहीं। हाल ही में संख्याधिकारी के पद पर चयनित कु. नीलम जायसवाल ने कहा कि हमारे धर्म ग्रन्थों में शंखों का उपयोग आभूषणों से लेकर आयुध तक हुआ है। हमारे सभी देवी देवता आमतौर पर शंखों को धारण किये हुये रहते हैं। इस प्रदर्शनी में एक सौ से अधिक शंख, सीप कौड़ियों का प्रदर्शन किया गया।