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गांवों में चहुमुखी विकास के मुद्दों पर जीतने वाले सिर्फ अपना व अपनों का ही करते हैं विकास

ग्राम अटरिया भी इनके झूठे छलावों से बचा नहीं
उरई। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का मौसम है ऐसे में कई सफ़ेद पोश अपनी छवि का हवाला देकर भोले भाले ग्रामवासियों को रिझाने में लगे गए हैं और तो और इसमें जनपद के कई बड़े चेहरे जो राजनीति में अपने आपको गुरु मानते हैं वो भी इस चुनाव में घुमते नजर आ रहे है और सभी का सिर्फ एक ही उद्देश्य कि कैसे हम इन ग्रामीणों को अपनी तरफ रिझायें और आगामी चुनावों में हमें विजयी श्री मिले। लेकिन अब ग्रामीण भी काफी हद तक समझदार हो गया है वह जानता है कि जो नेता कभी किसी की एक नहीं सुनता आज वह आपको मनाने के लिए किसी भी बात को सहर्ष सुन लेगा अगर आपका ग्राम में दबदवा है तो वह आपके चरण वंदन करने में भी हिच किचायेगा भी नहीं। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद अगर नेता जी जीत जाते है तो अब आपको उनके दर पर गिड़गिड़ाने जाना होगा लेकिन वह आपकी नहीं सुनेगा।

ऐसा ही एक उदाहरण ग्राम अटरिया का है जहाँ विकास के नाम पर चुनाव तो हर बार होता है लेकिन सिर्फ इस गाँव का विकास नहीं होता हाल ही में मीडिया कर्मियों ने इस गाँव में दौरा किया तो देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि क्या इस ग्राम सभा में विकास के लिए पिछली पाँच वर्षों या उससे पूर्व कोई बजट प्रस्तावित नहीं हुआ क्योंकि गाँव में घुसते ही सबसे पहले आपकी नजर जर्जर एवं उखड़ी पड़ी सड़क पर पड़ती है हाँ सीसी रोड है लेकिन टूटी फूटी, इसी प्रकार गांव के अंदर जब पहुंचे तो वहाँ आज भी कच्ची नालियाँ वो भी बजबजाती हुई दिखीं इसी प्रकार कुछ एक जगह विकास हुआ दिखा लेकिन गांव में फैली गंदगी यह गवाही दे रही कि यहाँ सफाई के नाम पर सिर्फ दिखावा है। हालांकि इस ग्राम सभा के ग्रामीण बहुत ही नेक दिल के हैं इसलिए यह सब देखकर अनजान बने रहते हैं लेकिन कुछ एक दो शिकायत करते भी है तो उनकी समस्या का कोई निराकरण नहीं होता। इसी क्रम में एक ग्रामीण द्वारा मीडिया कर्मियों से अपनी परेशानी को साझा किया जिसमे उसने अपने घर को जाने के लिए कोई रास्ता न होने एवं कच्ची नाली होने के कारण गिलाव (कीचड़) की समस्या को प्रमुखता से बताया और यह भी कहा कि न यहाँ कोई भी साफ़ सफाई करने आता है। साथ ही उसने व उसके साथियों ने कहा कि अगर हमारी समस्या का हल नहीं हुआ तो आगामी चुनाव में किसी को अपना मत नहीं देंगे। इस दौरान अपनी समस्यों को बताने वालों में गांव के संजीव कुमार, शिवकुमार, समरथ मुन्ना, दीपक, बलराम, सुरेंद्र, श्रीकांत, महेश, राजेंद्र प्रसाद मौजूद रहे।
ये सिर्फ एक ग्राम सभा के निवासियों की समस्या व शिकायत थी लेकिन अगर हकीकत में देखा जाए तो लगभग जनपद के सभी गाँवो ऐसी ही या उससे कहीं ज्यादा और गंभीर परेशानियों का पुलिंदा हो। इस लिए आप जब भी किसी प्रत्याशी को चुने तो सिर्फ अपनी सुने किसी के कहने या प्रलोभन में न पड़े।

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