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समय से इलाज और उचित आहार से हो सकता है टीबी का खात्मा : डॉ० कौशल किशोर

उरई/जालौन। टीबी रोग का खात्मा सामूहिक प्रयास से हो सकता है। कई ऐसे मरीज है, जिन्हें इलाज के साथ देखभाल की जरूरत भी है। ऐसे लोगों की मदद में सामाजिक संगठन भी आगे आ रहे हैं और उनके लिए पोषण युक्त आहार की व्यवस्था कर रहे हैं। टीबी रोगियों को दवा के साथ उचित पोषण आहार भी जरूरी है। इससे मरीज जल्द स्वस्थ होते है। यह बात जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० कौशल किशोर ने जिला क्षय नियंत्रण केंद्र में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से पोषण किट वितरण के दौरान कही। आईएमए के सचिव डॉ० संजीव गुप्ता की ओर से नौ टीबी रोगियों के लिए पोषण आहार किट उपलब्ध कराई गई थी।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि टीबी रोग का समय से इलाज शुरू करा दिया जाए तो इलाज से मरीज जल्द टीबी मुक्त हो सकता है। टीबी संक्रामक रोग है यदि लापरवाही बरती जाये तो यह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए टीबी के लक्षण आने पर जांच कराए और इलाज समय से शुरू कराए। उन्होंने बताया कि इस समय सरकारी अस्पतालों में 1525 मरीज और प्राइवेट चिकित्सकों के पास 337 मरीज उपचाराधीन है। इनका निक्षय पोर्टल पर पंजीकरणभी है और हर मरीज के खाते में निक्षय पोषण के तहत पांच सौ रुपये की धनराशि भेजी जा रही है।
आईएमए के सचिव डॉ० संजीव गुप्ता ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए आईएमए भी सहभागी बनेगा। उनके संगठन ने नौ मरीजों को गोद लिया है और उनकी देखभाल कर रहा है। जरूरत पड़ने पर और भी मरीजों को गोद लिया जाएगा। उन्होंने अन्य सामाजिक संगठनों से भी टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक नुरुल हुदा ने बताया कि इस साल जनवरी से अब तक 851 क्षय रोगियों को विभिन्न संस्थाओं और अधिकारियों ने गोद लिया है।
पोषण किट वितरण के दौरान डीपीपीएम आलोक मिश्रा, राजीव उपाध्याय, संजय अग्रवाल, भूपेंद्र, सिराज अहमद, राजेश सिंह, रविकांत भास्कर, प्रदीप पटेल, अश्वनी वर्मा, अनिल दीक्षित, जगमोहन, शहनवाज आदि मौजूद रहे।

यह लक्षण आने पर तत्काल कराएं जांच –
15 दिन खांसी आने पर
खांसी के साथ बलगम आने
बलगम में खून आने
भूख न लगना, वजन कम होना
बुखार आना

पता नहीं चला कैसे हो गई टीबी, अब हो रहा सुधार –
शहर के मोहल्ला राजेंद्रनगर निवासी एक किशोर ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं। घर का खर्च मुश्किल से चलता है। खानपान की सही व्यवस्था न होने से पता नहीं कैसे टीबी रोग के शिकार हो गए। इस साल मार्च महीने में एक दिन सर्वे टीम घर में आई। टीम को लक्षण बताए तो टीम ने जांच कराई। इसमें टीबी की पुष्टि होने पर विभाग ने इलाज शुरू करा दिया। यही नहीं पोषण की किट भी हर महीने मिल जाती है। दवा भी मुफ्त मिल रही है। इसकी वजह से उसे रोग से लड़ने में मदद मिल रही है। उसके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

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