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बूंदाबांदी से खिले किसानों के चेहरे, ठंड ने बढ़ाई गरीबों की मुसीबत, सड़कों पर पसरा रहा सन्नाटा

कोंच (पीडी रिछारिया) पिछले करीब दस दिन से शीतलहर के साथ पड़ रही गलन भरी सर्दी से हलकान क्षेत्रवासियों की मुश्किलें तब और बढ़ गई जब मंगलवार की सुबह से दोपहर तक हुई बूंदाबांदी के चलते यकायक ठिठुरन और बढ़ गई। खासतौर पर इस ठिठुरन ने गरीबों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
बारिश के कारण आधे दिन तक सड़कों पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा और तमाम सरकारी कार्यालयों से लेकर बैंकों, बस स्टैंड आदि सार्वजनिक स्थलों पर इक्का दुक्का लोग ही नजर आए और वह भी जलते अलावों के सहारे ठंड से निजात पाने की कोशिश करते देखे गए। रिमझिम बारिश होने से किसानों के चेहरे जरूर खिल गए। छानी के किसान राकेश पाठक ने बताया कि एक ओर जहां सफेद मटर, गेहूं, सरसों आदि की फसलों को फायदा पहुंचा है वहीं दूसरी ओर हरी मटर को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।अधिकांश गांवों में हरी मटर की फलियां दाने से भर गयीं हैं या भरने वाली हैं, इस बारिश के कारण खेतों में अधिक नमी हो जाने के चलते अब नीचे की ओर झुककर मिट्टी के संपर्क में आकर खराब हो सकती हैं और जिन गांवों में फलियों के अंदर दाने भरने में अधिक देरी है वहां सर्दी से उत्पन्न कीटाणु फलियों में लगने का डर किसानों को सता रहा है। उधर, जैसे ही बारिश शुरू हुई उसी समय तकनीकी खामी आ जाने के चलते विद्युत आपूर्ति गुल हो गई और शाम तक विद्युत आपूर्ति न आने से घरों में पानी का संकट गहराता दिखा। अधिकांश इन्वर्टर भी डिस्चार्ज हो गए जिससे घरों में भी अंधेरा छाया रहा।

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