– ‘वो सेवक कह रहे खुद को मगर लगते शिकारी से’ … ! कोंच/जालौन। जाने-माने साहित्यिकार एवं कवि डॉ. हरिमोहन गुप्त की अध्यक्षता एवं पूर्व बारसंघ अध्यक्ष विज्ञान विशारद सीरौठिया के मुख्य आतिथ्य में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटलविहारी वाजपेयी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मयंक मोहन गुप्ता के आवास पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें नामवर कवियों साहित्यिकारों एवं शायरों ने अपनी अनूदित रचनाओं से अटल जी को श्रद्धा प्रसून समर्पित किए। वाणी वंदना के बाद कवियों नेे रचना पाठ शुरू किया, नवोदित कवि सुनील कांत तिवारी ने राजनीति के मौजूदा चलन पर करारा तंज कसते हुए कहा, ‘पहन खादी जो निकलेे हैं यहां टाटा सफारी से, वो सेवक कह रहे खुद को मगर लगते शिकारी से। राघवेन्द्र चिंगारी ने रचना बांची, ‘हालातों से मेेरी जंग जारी है, तुम क्या जानो कैसेे रात गुजारी है। डॉ. हरिमोहन गुप्त ने अटल जी को समर्पित कविता में कहा, ‘ओ महान कवि युग दृष्ट ओजस्वी वक्ता जो जीवन में सदा रंगों को भरता। दिनेश मानव ने रचना पाठ किया, ‘नजरों नेे इक नया नजारा देखा है, साहिल ने फिर मझधारों मेें फेंका है। संतोष तिवारी, नंदराम भावुक, मोहन दास नगाइच, भास्कर सिंह माणिक्य, प्रमोद कस्तवार, नरेन्द्र मोहन मित्र, राजेन्द्र सिंह रसिक आदि नेे भी अपनी अनूदित रचनाओं से श्रोताओं को बांधे रखा। संचालन आनंद अखिल ने किया। इस दौरान शंभूदयाल स्वर्णकार, दीपक मिश्रा, संतोष गिरवासिया, राहुल बाबू अग्रवाल, केशरीमल तरसौलिया, अमित उपाध्याय, प्रेमनारायण वर्मा, अंजू अग्रवाल, अर्चना सोनी, राजू गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, महेंद्र सोनी लला, डीके सोनी, मनीष, कमलेश गुप्ता, केके गुप्ता, राजू तीतविलासी, बबलू गुप्ता आदि उपस्थित रहे।