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भविष्य में कुआं का जल ही होगा जीवन का आधार : राघवेंद्र पाण्डेय

जगम्मनपुर (विजय द्विवेदी) जिला पंचायत सदस्य जगम्मनपुर ने वर्षो से बंद पड़े 100 फुट गहरे कुओं की सफाई करवा कर उनमें निर्मल जल धारा का प्रवाह करा दिया ।

ग्राम जगम्मनपुर रियासत काल का बड़ी आबादी वाला गांव है। यहां लगभग 63 कुआं जलापूर्ति करते रहे हैं किंतु सन 1974 में जल संस्थान द्वारा बोरिंग करवा कर ट्यूबवेल से जलापूर्ति की जाने लगी तो कुओं का सम्मान कम हो गया और गांव के आधे से ज्यादा कुआं अनुपयोगी हो गए, बची खुची कसर हैंड पंप योजना से पूरी हो गई और जगम्मनपुर में लगभग 110 हैंडपंप लग जाने से संपूर्ण कुआं गुजरे जमाने की बात हो गए। ग्रामीणों ने इन प्राकृतिक जल स्रोतों को कचरा फेंकने के स्थान के रूप में निश्चित कर दिया। गांव के लगभग 25 कुआं 20-30 फुट तक कचरा से भर दिए गए शेष कुआं जल स्रोत से 4-5 फुट ऊपर तक कचरा से भरे होने के कारण उनका भी पानी सूख गया। किंतु कहा जाता है कि 12 वर्ष बाद घूरे के भी दिन फिरते हैं इस कहावत को चरितार्थ होते समय नहीं लगा और वर्तमान में गांव के हेन्डपंप बार-बार खराब होने एवं जल संस्थान के नलों से पानी की सप्लाई घर-घर तक न पहुंचने की समस्या से परेशान ग्रामीणों का ध्यान अपने पुराने जलदाता कुओं की ओर आकृष्ट हुआ। इस समस्या को नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य ज्योति राघवेंद्र पाण्डेय ने समझा और राघवेंद्र पांडे ने धर्मार्थ उनकी सफाई कराना प्रारंभ कर दिया। इस क्रम में उन्होंने बाबू सिंह सेंगर के दरवाजे एवं दुबे मोहल्ला के पुराने कुओं की सफाई करवायी। श्री पाण्डेय के इस भागीरथी प्रयास से वर्षों से सूखे हुए कुआं पुनः निर्मल जल से लबालब हो गए। इस अवसर पर सत्तर वर्षीय मूलनरायन दीक्षित ने राघवेंद्र पाण्डेय की सराहना करते हुए कहा कि पुराने समय में कुआं खुदवाने का कार्य विरले लोग ही करते थे। वर्तमान में राघवेंद्र पाण्डेय सदस्य जिला पंचायत ने उनकी सफाई करवाकर लगभग समाप्त होने की कगार पर पहुंचे कुओं को पुनर्जीवन देकर धर्म का कार्य किया है। इस अभियान में 5-5 मजदूर प्रतिदिन एवं मोहल्ले के युवकों के सहयोग से लगातार 6 दिन तक लगातार कूप सफाई कार्य करके 100 फुट गहराई पर 30 वर्षों से भरा कचरा निकालने का दुर्गम कार्य पूर्ण कराया। जिला पंचायत सदस्य राघवेंद्र पाण्डेय ने कहा कि बीते काल में पूर्वजों के द्वारा बनवाए गए कुंआ ही अब भविष्य में लोगों के जलापूर्ति का मुख्य साधन होंगे और पूर्वजों के द्वारा कुआं के रूप में छोड़ी गई विरासत को सुरक्षित रखना ही हमारा कर्तव्य और पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि है।

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