संक्रमण बचाव से 50 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर को रोका जा सकता है- डा. विपिन पुरी
लखनऊ। केजीएमयू के फैकल्टी आफ पैरामेडिकल सांइसेज के द्वारा शुक्रवार को पंचम सीपीएमई कंटीन्यू पैरामेडिकल एजूकेशन का आयोजन किया गया। जिसका विषय नोसोकोमिअल इन्फेक्शन यानी चिकित्सकों से उत्पन्न होने वाला संक्रमण है।
कार्यक्रम के निर्देशक व अधिष्ठाता पैरामेडिकल विज्ञान संकाय के प्रो. विनोद जैन ने संक्रमण से होने वाली विभिन्न गतिविधियों को विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस चिकित्सा विश्वविद्यालय में 2015 से व्यवस्थित रूप से पैरामेडिकल शिक्षण प्रशिक्षण कार्य संपादित किया जा रहा है। इसका मुख्य उदेश्य ऐसे पैरामेडिकल कर्मियों को तैयार करना है जो समाज को बेहतर सेवा प्रदान कर सकें। मुख्य अतिथि के रूप में केजीएमयू के कुलपति ले. जनरल डा. विपिन पुरी ने बताया कि चिकित्सालय संक्रमित संक्रमण बचाव से 50 प्रतिशत से अधिक मृत्यु को रोका जा सकता है, यदि इस नोसोकोमिअल इन्फेक्शन से बचाव करें इससे न केवल रोगी का लाभ पहुँचेगा जिससे उनकी चिकित्सा में होने वाले व्यय को कम किया जा सकता है। पैरामेडिकल स्टाफ की सराहना करते हुए छात्र छात्राओं आह्वान किया कि केजीएमयू के ब्रांण्ड अम्बेस्डर के रूप में कार्य करें डा.विनोद जैन के नेतृत्व में टीम वर्क लीडरशिप की भावना लोंगो के प्रति सहानुभूति व मृदु व्यवहार रखते हुए अपने कार्य में दक्षता प्राप्त करें। सीपीएमई की मुख्य वक्ता प्रो. अमिता जैन विभागाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि चिकित्सालय में भर्ती होने से 48 घंटे के अन्दर अथवा चिकित्सालय से डिस्चार्ज होने के तीस दिन बाद तक ऐसे संक्रमण को नोसोकोमिअल इन्फेक्शन कहते है।जो रोगी के पहले से न हो नोसोकोमिअल से रोगी को अस्पताल में अवधि तक रखना पड़ता है जिससे उसकी बीमारी बढती और मृत्यु दर बढ जाती है इलाज में होने वाले व्यय में वृद्धि हो जाती है यह मख्यतया ऐसे रोगियों में होता है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है या जो जिससे कम या अधिक आयु या संक्रमण बचाने हास्पिटल में उपचार के दौरान संक्रमण बचाने में उचित प्रयास न किया हो बताया कि यह इन्फेक्शन चार प्रकार को होता है मूत्र संक्रमण, सर्जरी के स्थान पर संक्रमण, वेंटीलेटर जनित निमोनिया और रक्त में होने वाला संक्रमण सेप्टीसीमिया बताया कि इस संक्रमण से बचने के लिए सभी चिकित्सालयों को युनिवर्सल सेफ्टी प्रीकाशन रखने की आवश्यकता है साथ ही इन्फेक्शन प्रीवेंशन ट्रेनिंग भी होती भी रहनी चाहिए। कहा कि बहुधा चिकित्साकर्मी संक्रमण रहित वातावरण उत्पन्न करने के लिए जैसे हाथ धोना, दस्ताना पहनना या कचरे का निस्तारण भली भांति न करना इन कारणों से स्थिति भयावह हो जाती है। डा. विनोद जैन द्वारा परिकल्पित लिखित पुस्तक नोसोकोमिअल पुस्तिका का विमोचन हुआ। पुस्तिका का लेखन राघवेन्द्र कुमार वीनू दुबे व मंजरी शुक्ला द्वारा किया गया। संबोधन प्रो. अनिल परिहार व धन्यवाद ज्ञापन अतिन सिंघई द्वारा किया गया, कार्यक्रम के संचालन में शिवानी वर्मा व बीनू दुबे द्वारा किया गया। (न्यूज़ एजेंसी)