जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को अपने खेतों की गहरी जुताई करने की दी सलाह
उरई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी गौरव यादव ने जनपद के कृषक भाइयों को अवगत कराया कि खरीफ सीजन शुरू होने में मात्र कुछ माह बचे है इस समय रबी फसलों की कटाई हो चुकी है खेत खाली हो चुके है किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि मई-जून माह में अपने खेतों की गहरी जुताई करें इससे न केवल खेत में मौजूद हानिकारक कीट नष्ट हो जाते है बल्कि मौजूद फसल अवशेष सड़कर खाद बन जाती है ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है जिससे मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है जो फसलों की बढ़वार के लिए उपयोगी होती है।
मृदा के अन्दर छिपे हुए हानिकारक कीड़े-मकोड़े उनके अण्ड़े लार्वा प्यूपा एवं खरपतवारों के बीज गहरी जुताई के बाद सूर्य की तेज किरणों के सम्पर्क में आने से नष्ट हो जाते है तथा जमीन में वायु संचार बढ़ जाता है जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों के वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है साथ ही किसान भाइयों को अवगत कराना है कि मेड़ों पर उगने वाले खरपतवारो की साफ सफाई से किनारों की प्रभावित फसलों के बीज खाद एवं उर्वरकों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है तथा बोयी जाने वाली फसल में खरपतवारों को फैलने से रोका जा सकता है तथा मेड़ों की साफ सफाई से हानिकारक कीटो एवं जीवों के आश्रय नष्ट हो जाते है साफ सफाई करना कीट एवं रोगों के नियंत्रण की आधुनिक विद्या एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) के अंतर्गत परंपरागत विधियों को अपनाएं एवं गर्मी में गहरी जुताई के उपरान्त मृदा में पाये जाने वाले हानिकारक जीवाणु (इरवेरिया, राइजोमोनास, स्ट्रेप्टोमाइसीज आदि), कवक फाइटोफाथोरा, राइजोकटोनिया आदि एंव अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जातें’ है जो फसलो में बीमारी के प्रमुख कारण हेतु है।
ग्रीष्मकालीन कीट रोग एवं खरपतवार प्रबन्धन मानसून आने से पूर्व भूमिशोधन एवं बीजशोधन अवश्य करें। उन्होंने बताया कि भूमि शोधन के लिए 2.50 किग्रा ब्यूवेरिया बैसियाना एवं 2.50 किग्रा ट्राइकोडर्मा (हरजेनियम) को 60-65 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर किसी छायादार स्थान के नीचे भीगे हुए जूट के बोरे से ढक कर प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा पानी से नमी बनाये रखें। 10 दिन के बाद बुवाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर भूमि में छिड़कर जुताई करें तथा फसल के बीजों को बोने से पूर्व बीज शोधन के लिए 250 ग्राम थीरम अथवा 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा (हरजेनियम) अथवा 2-2.50 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग करें जिससे कीट एवं रोगों के नियंत्रण के साथ ही उत्पादन में वृद्धि हो सके।
इसके साथ ही कृषक बंधुओं को सूचित किया जाता है कि कृषि विभाग उ० प्र० के कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा फसलों में कीट/रोग सम्बन्धी समस्या के समाधान हेतु सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पीसीएसआरएस) एक नवीन प्रणाली शुरू की है इसमे विभाग द्वारा दो नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 दिये गये है इन नम्बरों पर आप अपना कृषक पंजीकरण नम्बर या अपना नाम, ग्राम का नाम, विकास खण्ड का नाम एवं फसल में लगने वाले कीट/रोग से सम्बन्धित समस्या उपरोक्त नंबरों पर एसएमएस या व्हाट्सएप के माध्यम से भेजकर अपनी समस्या का समाधान 48 घण्टे के अन्दर प्राप्त कर सकते है। साथ ही सभी कीटनाशक विक्रेताओं से अपेक्षा है कि वे अपनी दुकान के बाहर रेट बोर्ड, स्टॉक बोर्ड अवश्य लगायें। प्रत्येक कृषक को कैश मैमों जारी करें। कृषकों को कृषि रक्षा रसायनों के सम्बन्ध में आवश्यक प्रयोग विधि/निर्देशो की भी जानकारी से अवगत करायें एवं कीटनाशी अधिनियम 1968 के अर्न्तगत सुसंगत नियमों का आवश्यक रूप से पालन करें।