कर्तव्य बोध के साथ साथ परमात्मा से साक्षात्कार कराती है श्रीमद्भागवत कथा : साध्वी ऋतंभरा
कोंच (पीडी रिछारिया)। समीपस्थ ग्राम चांदनी में आयोजित श्री बिष्णु महायज्ञ एवं श्री राधा कृष्ण की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रहे धार्मिक अनुष्ठानों में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का भी विशाल आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रख्यात कथा प्रवक्ता अंतरराष्ट्रीय संत साध्वी ऋतंभरा के मुखारविंद से श्रीकृष्ण की अलौकिक कथाओं का रसास्वादन क्षेत्र की धर्मप्राण जनता कर रही है।
व्यास पीठ से कथा कहते हुए साध्वी ऋतंभरा ने श्रीमद्भागवत का महात्म्य बताया, कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान कृष्ण का साक्षात श्रीविग्रह ही है। उन्होंने प्राणिमात्र के कल्याण के लिए ही इस धराधाम पर अवतार लिया है। कथा व्यास ने कहा, सांसारिक बंधन तो स्वार्थ के हैं, अगर बंधना ही है तो परमात्मा के साथ बंधो। जिस तरह गज को ग्राह द्वारा जब सरोवर में खींचा गया और गज के परिवार का कोई भी उसकी रक्षा करने के लिए आगे नहीं आया तो उसने आर्त स्वर में परमात्मा श्रीहरि विष्णु को पुकारा और भगवान बिष्णु बिना देरी किए वहां पहुंच कर गज को ग्राह के बंधन से मुक्त कराकर ग्राह का भी उद्धार कर देते हैं।
भागवत कथा का मर्म भी यही है, यह सांसारिक बंधनों से मुक्त कर जीव का साक्षात्कार परमात्मा से कराती है। महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही द्वारिकाधीश से सहायता मांगने पहुंचते हैं। दुर्योधन सिरहाने और अर्जुन पैरों की ओर खड़े होकर द्वारिकाधीश के जागने की प्रतीक्षा करते हैं। अर्जुन अगर चाहते तो नारायणी सेना का भी चुनाव कर सकते थे लेकिन उन्होंने द्वारिकाधीश को मांगकर अपनी विजयश्री का वरण कर लिया। तात्पर्य यह कि परमात्मा जिसके साथ है उसे कोई कैसे परास्त कर सकता है। अंत में कथा परीक्षित गौरी चबोर ने सपत्नीक भागवत जी की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया।