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कंस वध एवं रुक्मणि विवाह की कथा सुन मंत्र मुग्ध हुए श्रोतागण

जालौन (बृजेश उदैनिया) जालौन के कुंवरपुरा गांव में भागवत कथा में शनिवार को कथा मुरारी दास जी महाराज ने रास-महारास, कंस वध और रुक्मिणी विवाह प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने मात्र 8 वर्ष की अवस्था में कामदेव के अभिमान को खत्म करने के लिए गोपिकाओं के मनोरथ को पूर्ण करने दिव्य रासलीला और महारासलीला की। भगवान अपने भक्त को अपनाने से पहले पद, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य आदि देकर परख लेते हैं। इसलिए बंसी बजाकर गोपियों को बुलाने वाले कृष्ण ही गोपियों के आने पर उनसे पूछते हैं कि इतनी रात को यहां क्यों आई हो।

आप सभी को अपने-अपने बंधु-बांधवों के पास लौट जाना चाहिए। लेकिन गोपियां नहीं लौटती। इस परीक्षा में सफल हो जाने के बाद ही कृष्ण गाेपियों के साथ महारास लीला में प्रवेश करते हैं। इसके बाद जब भगवान को पता चलता है कि गोपियों को कृष्ण के सानिध्य का अहंकार हो गया है तो वे महारास से अद्श्य हो जाते हैं और गोपियों के अहंकार को चूर करने के बाद ही पुन: महारास में शामिल होते हैं। कथा वाचक मुरारी दास जी महाराज कहते हैं कि मथुरा और वृंदावन की भौतिक दूरी कोई बहुत ज्यादा नहीं है। वास्तव में गोपियां चाहती हैं कि मथुरा में रहने वाले ऐश्वर्य से घिरा हमारा कृष्ण वो ऐश्वर्यता को छोड़कर वृंदावन की माधुयर्ता के साथ हमें अपना ले। इसी प्रकार जीवन में ऐश्वर्यता को छोड़कर माधुर्यता की ओर जाने पर ही हमें भगवान मिल सकते हैं। माैके पर पारीक्षत सरिता निर्मल श्रीवास्तव, हाकिम सिंह, ब्रज बिहारी, शिरोमणि सिंह, महेश कुमार, मंगल सिंह, राम कुमार, राजकिशोर, अमित श्रीवास्तव, राहुल श्रीवास्तव, साहुल श्रीवास्तव, भोले श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, प्रकाश नारायण, सुशील कुमार आदि मौजूद रह रहे है।

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