कोंच/जालौन। कभी कभी सरकार ऐसे बेतुके नियम बना देती है जिसका खामियाजा समाज के गरीब तबकों को उठाना पड़ता है। इन नियमों का हवाला देकर अधिकारी उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित कर देते हैं। ऐसे ही नियमों में फंसे तहसील क्षेत्र के कुछ दिव्यांग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ रहे हैं।
नदीगांव विकास खंड के तहसील मुख्यालय से लगते ग्राम तूमरा का रहने बाला लालताप्रसाद सौ फीसदी दिव्यांग है लेकिन उसकी शादी नहीं होने के कारण उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा है। कारण बने हैं सरकारी नियम कायदे जिनमें अकेले व्यक्ति का राशन कार्ड बनाया जाना मना है। पहले उसका पीला राशन कार्ड बना था लेकिन उसे समाप्त कर दिया गया था। उसका नाम उसके भाई के राशन कार्ड के साथ जोड़ दिया गया है जिसके चलते उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सौ प्रतिशत दिव्यांग होने के कारण वह किसी भी तरह का काम धाम भी नहीं कर पाता है जिससे उसके सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी दुष्कर है। उसने अधिकारियों से मांग की है कि उसका अंत्योदय कार्ड बनवाया जाए।
ऐसा ही एक मामला विकास खंड कोंच के ग्राम अंडा का है। वहां का निवासी मुकेश वर्मा आंखों से अस्सी प्रतिशत दिव्यांग है जिसके चलते वह कोई काम भी नहीं कर पाता है। सिर्फ पेंशन का भरोसा है लेकिन उसके बूते जिंदगी की गाड़ी खींच पाना कितना मुश्किल है यह आज की मंहगाई की रोशनी में समझ पाना आसान है। गांव में उसका कच्चा घर उसकी आर्थिक तंगी का जीता जागता उदाहरण है। उसने ग्राम पंचायत से एक अदद आवास के लिए मदद मांगी थी लेकिन जैसा कि गांवदारी की संकुचित राजनीति में अक्सर होता है, वह आवास पाने से वंचित रह गया। उसका अंत्योदय कार्ड भी नहीं बना है जिससे उसे सस्ता खाद्यान्न नहीं मिल पाता है। उसने एक अदद आवास और राशन कार्ड उपलब्ध कराने की मांग की है।