कोविड-19 के उपचार सम्बन्धी कोई भी समस्या हो तो “पेन्डमिक पब्लिक ग्रीवान्स कमेटी” में करें शिकायत

उरई। जिले में यदि किसी नागरिक को किसी सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल अथवा मेडिकल काॅलेज में कोविड-19 के उपचार सम्बन्धी कोई भी समस्या हो तो वह अपनी समस्या अथवा शिकायत “पेन्डमिक पब्लिक ग्रीवान्स कमेटी” को दे सकता है। कोरोना रोगी को यदि प्राथमिक उपचार नहीं मिल पा रहा है अथवा दवा, इंजेक्शन एवं आक्सीजन इत्यादि सुविधायें उक्त अस्पतालों/मेडिकल काॅलेज में नहीं मिल पा रहीं हों तो समस्या को उक्त समिति के संज्ञान में लाया जा सकता है जो यथा आवश्यक कार्यवाही करेगी।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुये “पेन्डमिक पब्लिक ग्रीवान्स कमेटी” के सदस्य श्री महेन्द्र कुमार रावत सिविल जज सी0डि0/प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने अवगत कराया है कि क्वारन्टीन सेन्टर की स्थितियों और कोरोना पॉजिटिव रोगियों को बेहतर चिकित्सीय उपचार उपलब्ध कराने हेतु एक जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा विस्तृत आदेश पारित किया गया है। इस आदेश के अनुपालन में जिला स्तर पर तीन सदस्यीय “पेन्डमिक पब्लिक ग्रीवान्स कमेटी’’ का गठन माननीय जनपद न्यायाधीश श्री अशोक कुमार सिंह द्वारा कर दिया गया है। इस समिति में सिविल जज (सी0डि0) श्री महेन्द्र कुमार रावत, अपर जिला मजिस्ट्रेट श्री प्रमिल कुमार सिंह (वि0 एवं रा0) (मो0 – 9454417619) और राजकीय मेडीकल कालेज उरई के उप-प्रधानाचार्य डा0 आर0 एन0 कुशवाहा (मो0 – 8853235555) को नामित किया गया है। इस कार्य के पर्यवेक्षण हेतु विशेष न्यायाधीश डकैती श्री सुरेश चन्द्र को नोडल ऑफिसर नामित किया गया है। सिविल जज सी0डि0/प्रभारी सचिव श्री रावत ने बताया कि यह व्यवस्था पूरे जनपद में प्रभावी है। नगरीय क्षेत्रों अथवा ग्रामीण क्षेत्रों की कोरोना पीडि़त रोगियों की समस्याओं के निदान अथवा शिकायतों के निस्तारण हेतु सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को सीधे प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। सम्बन्धित उपजिलाधिकारी ऐसी शिकायतों को “पेन्डमिक पब्लिक ग्रीवान्स कमेटी” को निस्तारण हेतु सन्दर्भित करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना बीमारी के उपचार में यदि किसी व्यक्ति को कोई परेशानी है तो वह उक्त समिति को भी सीधे प्रार्थनापत्र दे सकता है। उक्त व्यवस्था का लाभ कोरोना पीडि़तों को दिलाये जाने हेतु जिले के समस्त तहसीलदारों और तहसील विधिक सेवा समितियों के अन्तर्गत कार्यरत पैरा लीगल वालन्टियर्स को आवश्यक निर्देश दे दिये गये हैं। वह ग्रामीण क्षेत्रों में इस व्यवस्था को प्रचारित करेंगे एवं पीडि़तों को आवश्यक विधिक सहायता भी निःशुल्क उपलब्ध करायेंगे।