कोतवाली पुलिस की बार संघ अध्यक्ष के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई, जताई चुनाव प्रभावित करने की आशंका

– वकीलों मेें पुलिस के प्रति जबर्दस्त आक्रोश
कोंच। कोतवाली पुलिस के अजीबो-गरीब कारनामे से वकीलों में जबर्दस्त गुस्सा है और पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोलनेे की तैयारी में हैं। आसन्न पंचायत चुनाव के मद्देनजर पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की है उनमें बार संघ अध्यक्ष सहित कई ऐसे अधिवक्ताओं और बुजुर्गों के नाम हैं जिनका पंचायत चुनाव से कोई लेना देना ही नहीं है क्योंकि ये सभी कोंच नगर के निवासी हैं जबकि पुलिस ने अपनी चालानी रिपोर्ट में दिखाया है कि भ्रमण के दौरान उसने देखा कि ये लोग धन बल से भदेवरा गांव में चुनाव प्रभावित कर रहे थेे।
आसन्न पंचायत चुनाव को लेेकर पुलिस और प्रशासन पर दबाव है कि चुनाव निर्विघ्न संपन्न हो सकें इसके लिए गांवों के प्रभावशाली और खुराफाती लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए। इस फरमान को बजा लाने में लगी पुलिस किसी भी तरह अपना कोटा पूरा करने मेें जुटी है और अपनी मेज पर बैठ कर ऐसेे ऐसे लोगों के खिलाफ चालानी रिपोर्ट बना डाली है जो न केवल पंचायत चुनाव से किसी भी तरह का वास्ता नहीं रखने बाले हैं बल्कि वे नगर के रहने बालेे हैं और अधिवक्ता के अलावा सीनियर सिटीजंस भी हैं। कोतवाली के दरोगा चेतराम बुंदेला ने एसडीएम कोर्ट में जो चालानी रिपोर्ट भेजी हैै वह बेहद हास्यास्पद है क्योंकि उसमें बताया गया है कि जब वह भ्रमण पर निकले तो उक्त लोग भदेवरा गांव में धन बल का प्रयोग करते पाए गए।
आश्चर्यजनक यह भी है कि इस रिपोर्ट में बारसंघ अध्यक्ष संजीव तिवारी समेत कमोवेश तीन सीनियर अधिवक्ता ओमप्रकाश कौशिक, सरनाम सिंह यादव के साथ नगर के प्रमुख व्यवसायियों हाजी सेठ नसरुल्ला, हाजी मोहम्मद अहमद, थोक सब्जी विक्रेता हाजी आफाक अहमद, रिटायर्ड पालिका कर्मी प्रभुदयाल गौतम, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी धीरेन्द्र सिंह यादव शामिल हैं। इनमें अधिकांश लोगों की उम्र साठ से पैंसठ बर्ष के बीच हैै। पुलिस के इस तरह के कारनामे को लेकर वकीलों में कोतवाली पुलिस के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा है। बार संघ अध्यक्ष ने पूरी स्थिति से एसडीएम अशोक कुमार को अवगत कराया है जिस पर एसडीएम ने आश्वासन दिया है कि वह पुलिस से इस रिपोर्ट को वापिस लेनेे के लिए कहेंगेे।
घर बैठेे बना लेती है पुलिस रिपोर्ट
बारसंघ अध्यक्ष संजीव तिवारी इस स्थिति को लेकर खासेे गुस्सेे में हैं। उनका कहना है कि जिले के आला अधिकारियों के स्पष्ट निर्देश हैं कि मौके पर जाकर पूरी पड़ताल करने के बाद ही लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए ताकि बुजुर्ग, संभ्रांत लोग और नाबालिग इस कार्रवाई की जद में न आने पाएं लेकिन पुलिस अपने दफ्तर में बैठ कर रिपोर्टेें तैयार कर लेती है जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैै और पुलिस की छवि खराब होती हैै सो अलग।