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जब अपने राम के लिए मात्र 12 साल की उम्र में जाना पड़ा था जेल, अब पूरा होने जा रहा है सपना 

कालपी। 1990 की कारसेवा में नगर के सैकड़ो लोगों ने भागीदारी की थी पर इस अभियान में कालपी नगर से मिश्रा परिवार की बड़ी भागेदारी रही है। जिसमें 4 लोगों को जेल यात्रा करनी पड़ी थी और उसमें एक सदस्य की उम्र तो महज 12 वर्ष ही थी। जिन्होने बच्चा बच्चा राम का जन्मभूमि के काम के नारे से प्रभावित होकर 12 दिन जेल में बिताये। उस दौरान प्रदेश में इतने कम उम्र का कोई कार सेवक नही था।

वैसे तो राममन्दिर आन्दोलन में देश के अगनित लोगों का योगदान और बलिदान है पर कालपी नगर का भी इसमें बड़ी हिस्सेदारी रही है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अपनी गिरप्तारी दी थी। जिनमें कुछ कार सेवकों का राम मन्दिर बनने का सपना अब पूरा हो रहा, तो वहीं कुछ अब दुनिया में ही नहीं रहे, अगर कुछ है तो वो सिर्फ स्मृति शेष ही है। अब राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है और 22 जनवरी को रामलला उसमें विराजमान हो जाएंगे जिसका उत्सव शुरू हो चुका है। ऐसे में फिर से राम मंदिर आन्दोलन में भाग लेने वाले कारसेवकों को याद किया जाने लगा है और गत दिनों विश्व हिन्दू परिषद व राष्ट्रीय सेवक संघ ने उन्हें सम्मानित भी किया है।

ऐसे में नगर के मोहल्ला गणेशगंज में निवास करने वाला एक मिश्रा परिवार बेहद चर्चा में है जिसमें इस परिवार के सुनील मिश्रा, राजेश मिश्रा, सुरेंद्र मिश्रा तथा ज्ञानेन्द्र मिश्रा ने मन्दिर आन्दोलन में भाग लेकर कार सेवा की थी और दो दो हफ्ते तक जेल में रहे थे। इनमें कार सेवा करने वाले ज्ञानेंद्र मिश्रा की उम्र महज 12 वर्ष ही थी क्योंकि उनका जन्म 30 नवम्बर 1977 को हुआ था और वह सबसे कम उम्र के कारसेवक थे।

उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र के कारसेवक के रूप में  ज्ञानेंद्र मिश्रा का ही नाम आता है फिलहाल समय गुजर गया यादे रह गई उस दौर को याद कर वह कहते हैं कि 1990 के दौरान राम मंदिर आन्दोलन में भाग लेना किसी अपराध से कम नहीं था। जय श्री राम बोलना अपराध था उत्तर प्रदेश में अघोषित इमरजेंसी जैसा माहौल था हम अपने घर में आजादी के साथ जय श्रीराम नहीं बोल सकते थे।

उन्होंने कहा कि 1990 की कारसेवा के दौरान पुलिस ने कारसेवकों की गिरफ्तारी शुरू कर दी तथा हर जगह की जेल भर चुकी थी रोजाना गिरफ्तारी का दौर जारी था इसी दौरान उनके अंदर भी भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिये समर्पण का भाव आया तथा बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का से प्रभावित हो गया था घर परिवार का भय था परिवार के कई लोग राम कारसेवक के रूप में जेल चुके थे वह लोग जेल में बंद थे मुझे लगातार घर वालों की ओर से उन्हे रोका जा रहा था

लेकिन वह नहीं माने तथा उन्होंने गिरफ्तारी दी तथा जब वह बस में बैठे तो उस दौरान के उपजिलाधिकारी उमा विलास अवस्थी व कोतवाल राजपाल सिंह शहंशाह ने रोकने का प्रयास किया लेकिन राम काज के लिये जुनून था तथा उनका साथ अरविन्द गुप्ता, चिरौंजी लाल व श्याम तिवारी जोकि बेहद नजदीकी थे सभी लोग प्रशासन से जूझ गये प्रशासन भी परेशान की इतनी कम उम्र के बालक को कैसे गिरफ्तार करू लेकिन प्रभु राम ने मार्ग प्रसस्त किया। दौर बहुत कठिन था जोश भी अधिक था दौर था जब अशोक सिंघल, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा, विनय कटियार, तोगड़िया की कैसेट रखना व बजाना अपराध था।

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