चितेरी लोककला की पांच दिवसीय कार्यशाला का हुआ उद्घाटन

उरई/जालौन। लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान व जिला प्रशासन के तत्वावधान में पांच दिवसीय चितेरी लोककला कार्यशाला सृजन का उद्घाटन अतुल द्विवेदी निदेशक लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के द्वारा संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में जिले के पच्चीस लोक कलाकारों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे निदेशक श्री द्विवेदी ने अपने संबोधन में चितेरी प्रशिक्षुओं को चितेरी लोककला को बढ़ाने के लिए संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि चितेरी बेमिसाल कला है जो कि मधुवनी या बर्ली कला की तरह ही अनूठी है। चितेरी बुंदेली कलाम शैली का एक हिस्सा है इसलिए हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र के युवाओं को प्रशिक्षण के साथ साथ सोशल मीडिया के माध्यम से चितेरी कला का प्रचार प्रसार बहुतायत तौर पर करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी रोहित त्रिपाठी ने कार्यक्रम संयोजक रोहित विनायक की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि विनायक के प्रयास हमारी पारंपरिक कला के संरक्षण में ऑक्सीजन देने का कार्य कर रहे हैं। संयोजक रोहित विनायक ने बताया कि संस्कृति विभाग के अंतर्गत लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा बुंदेलखंड की पारंपरिक बुंदेली चितेरी कला को बढ़ावा व उसके संवर्धन हेतु ये कार्यशाला आयोजित की गई है और इसमें जो कलाकृति बनाई जाएंगी इनकी अगस्त माह में लखनऊ में प्रदर्शनी लगेगी।