हाईकोर्ट के फैसले से मायूस दिखे ओबीसी के संभावित प्रत्याशी, अब सरकार के रुख पर नजरें

कोंच (पीडी रिछारिया) ओबीसी आरक्षण मामले में दायर याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना कर गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। हाईकोर्ट ने ओबीसी को आरक्षण दिए बिना समय से चुनाव कराने के लिए सरकार से कहा है। इस फैसले से ओबीसी कैटेगरी के संभावित प्रत्याशी खासे मायूस हुए हैं लेकिन अब उनकी नजरें सरकार के रुख पर टिकीं हैं। हालांकि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के तत्काल बाद कैबिनेट की बैठक बुलाकर स्थिति का अध्ययन किया और कहा, बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं होंगे। सरकार के इस ऐलान के बाद ओबीसी तबके को आस बंधी है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो सकेंगे।
वैसे एक बात तो है, सरकार द्वारा आरक्षण को लेकर जो नोटीफिकेशन जारी किया गया था उसमें पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के अनारक्षित वर्ग को करारा झटका लगा था और इस कैटेगरी के जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में महीनों से अपना झंडा बुलंद किए थे वे आरक्षण घोषित होते ही सुसुप्त अवस्था में चले गए थे। कोर्ट के फैसले ने उन लोगों को भी संजीवनी देने का काम किया है। सरकार भले ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली हो लेकिन अनारक्षित वर्ग इतना तो मानकर चल ही रहा है कि अगला जो नोटीफिकेशन आरक्षण को लेकर सरकार जारी करेगी उसमें तमाम सीटों का आरक्षण इधर उधर होगा और इस लिहाज से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। बहरहाल, राजनीति के जानकार मानते हैं कि अब ट्रिपल टेस्ट सर्वे के बिना सरकार चुनाव नहीं कराने वाली है और इस काम में महीने दो महीने का समय लग सकता है, सो चुनाव अप्रैल मई में होने की अटकलें लगाने वालों की कमी नहीं है।