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चटक धूप से बिगड़ रही है रवी फसलों की सेहत, अपने मुकद्दर से लड़ रहा है किसान

कोंच (पीडी रिछारिया) मौसम की बेरहम मार से लगातार जूझ रहे बुंदेलखंड के किसान को अभी भी राहत नहीं है। कोहरा व कड़कड़ाती ठंड जिसकी पहचान हो उस दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े में दिन के समय तेज कड़ी धूप निकलने से फसलों की सेहत पर बुरा असर तो पड़ रहा है, किसानों का रक्तचाप भी बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है। पिछले सितंबर-अक्टूबर माह में लगातार बारिश से खरीफ फसलें पहले ही बर्बाद हो चुकी थीं और फिर काफी देरी से बोई गई रवी की फसल का भी जायका पूरी तरह बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है क्योंकि दिन के समय तेज धूप और रात्रि में कोहरा न पड़ने से फसलें सूख रहीं हैं।
ऐसी स्थिति में हरी मटर उगाने वाले किसानों की तो कमर ही टूट गई है क्योंकि हरी मटर के लिए पर्याप्त ठंडक का मौसम नहीं मिल पा रहा है। किसान हरी मटर की फसल में कृत्रिम वर्षा कर रहा है लेकिन इस वर्षा से भी तेज धूप में फसलों को राहत नहीं है। इसके अलावा अन्य दलहनी और तिलहनी फसलें भी मौसम की गर्मी की भेंट चढ़ रहीं हैं। बता दें कि जनपद जालौन सरकारी तौर पर भी मटर की एक बड़ी मंडी घोषित है और जिला जालौन हरी मटर के उत्पादन तथा उसके अंतरराज्यीय निर्यात के लिए भी जाना जाता है। कोंच मंडी न केवल हरी मटर बल्कि अन्य कृषि जिंसों की बड़ी मंडी है जहां साल भर अच्छा व्यापार होता है लेकिन इस साल यहां का व्यापारी वर्ग भी इस बात को लेकर संशय में है कि प्रतिकूल मौसम के चलते मटर की आवक पर बुरा असर पड़ सकता है। इस तरह देखा जाए तो कभी सूखा और कभी अतिवृष्टि के चलते बर्बादी अपने मुकद्दर में लिखा चुका किसान एक बार फिर अपने मुकद्दर से लड़ता दिखाई दे रहा है। जुलाई में समय से बारिश नहीं होने के कारण खरीफ की फसल पहले ही सूखे की भेंट चढ़ चुकी थी सो किसान की आस हरी मटर पर टिकी थी कि खरीफ में हुए नुकसान की भरपाई वह हरी मटर से कर लेगा, लेकिन उसकी यह उम्मीद भी तेज धूप में सूखती दिखाई दे रही है। किसान हरी मटर को नकद फसल के तौर पर भुनाता है और मटर के बाद गेहूं की फसल भी ले लेता है या फिर मैंथा की बुवाई करके मुनाफा कमा लेता है लेकिन अबकी दफा मौसम ने किसान की सेहत बिगाड़ कर रख दी है।

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