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घनश्याम बने भाजपा के लिए संजीवनी, तीनों विधानसभा में मथ दिया चुनाव

उरई (जालौन) चुनावी बिसात पर कब, कौन कितना भारी पड़ जाए ? कहना मुश्किल होता है कुछ दिन पहले की ही बात है कि पूर्व सांसद और जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी जिले की राजनीति में नेपथ्य में चले गए थे। सपा सरकार में जिला को चलाने वाले नेता घनश्याम अनुरागी को सपा से बसपा और बसपा से भाजपा में आना पड़ा लेकिन उनकी राजनैतिक आकांक्षाओं और शैली को जिले के ज्यादातर नेता बर्दाश्त नहीं कर पाते रहे हैं। भाजपा में स्थानीय स्तर पर लोगों ने उन्हें नेता स्वीकार करना उचित नहीं समझा।
हालांकि उच्च स्तर पर भाजपा ने काफी तवज्जो दी। बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी डॉ घनश्याम अनुरागी को व्यक्तिगत तौर पर बहुत मानते थे। इसी के चलते जिला पंचायत चुनाव तक घनश्याम ने भाजपा में घुटन और अनदेखी को बर्दाश्त किया। कोई अन्य विकल्प न होने की स्थिति में न चाहते हुए भी घनश्याम अनुरागी को भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। जिसमें माधौगढ़ विधायक मूलचंद निरंजन ने खुलकर साथ दिया। इसी के चलते एहसान चुकाने में मशहूर घनश्याम अनुरागी ने माधौगढ़ सीट पर तो जी-जान लगा रखी है,बल्कि जिला की कालपी और उरई में भी चुनाव को भाजपा के पक्ष में मजबूत बना दिया है। भला ही भाजपा में गुटबाज़ी हावी हो,लेकिन इस मिथक को तोड़ते हुए घनश्याम अनुरागी जिस अंदाज में तीनों विधानसभा पर मेहनत कर रहे हैं,निश्चित ही अन्य नेताओं के लिए नजीर बनती जा रही है। भाजपा में नजरअंदाज किये गए ब्राह्मणों के कई गांवों कुठौंदा, अहेता, मिझौना, रेंढ़र आदि में ताबड़तोड़ सभाएं कर उन्हें भाजपा के पक्ष में लामबंद कर चुनावी मैदान में उतार दिया। घनश्याम अनुरागी ने अपनी वाकपटुता से नाराज़ लोगों को येन-केन संतुष्ट करने का पूरा प्रयास किया। भाजपा में घनश्याम ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनके सम्बंध मुस्लिम वर्ग और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित लोगों से हैं। यही कारण है कि माधौगढ़ क्षेत्र में विधायक मूलचंद निरंजन के बाद सबसे ज्यादा मांग जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी की है।

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