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कैकेई ने दो वरदानों में भरत को राज और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा

कोंच/जालौन। श्री नवलकिशोर रामलीला समिति द्वारा संचालित बजरिया की रामलीला के चल रहे 65वें महोत्सव में शनिवार की रात राम वनवास लीला का बढ़िया मंचन किया गया। इसमें मंथरा की कुटिल चालों में आकर कैकेई ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगे, पहला भरत के लिए अयोध्या का राज सिंहासन और दूसरा राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास। लीला के विभिन्न प्रसंगों में गाए गए सशक्त गीतों ने मंचन को प्रभावशाली बनाने में अपनी महती भूमिका निभाई।

महाराज दशरथ अपनी बढ़ती आयु देख अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को राज्य सिंहासन पर बैठा कर तपस्या करने का मन बना लेते हैं और गुरु बशिष्ठ के आश्रम जाकर उनसे अपना मंतव्य कहते हैं। गुरु आज्ञा से राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू हो जाती हैं लेकिन दासी मंथरा ने अपनी कुटिल चालों से कैकेई को भरमा कर राजा दशरथ से धरोहर स्वरूप उनके पास रखे अपने दो वरदान मांगने के लिए राजी कर लिया। कैकेई कोपभवन में चली जाती है और राजा दशरथ को राम की सौगंध दिलाकर दो वरदान देने के लिए विवश कर देती है।

पहले वरदान में वह अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज सिंहासन और दूसरे में राम को चौदस वर्ष का वनवास मांगकर उन्हें वल्कल वस्त्रों में वन भेज देती है। जनक नंदिनी सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ वन चले जाते हैं। बीच बीच गाए गए गीत दर्शकों को खूब भाए। दशरथ का अभिनय रमेश तिवारी, कैकेई हर्षित दुबे, मंथरा काजू पाटकार, सुमंत्र रामू पटैरिया, कौशल्या सूरज शर्मा, सुमित्रा महावीर आचार्य, इंद्र प्रशांत नगरिया, सरस्वती राजेंद्र बेधड़क आदि ने निभाए।

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