चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमद भागवत कथा सुननी चाहिए : आचार्य योगेन्द्र मिश्रा

उरई (जालौन) आज दिन मंगलवार को जनपद जालौन के जिला मुख्यालय उरई में स्थित किरण गार्डन में कलश यात्रा के साथ श्रीमद भागवत कथा का आयोजन श्री भगवानदास शुक्ला एवं श्री भगवती शरण शुक्ला जी के द्वारा किया गया। जिसमे भागवत कथा का रसपान आचार्य श्री योगेन्द्र मिश्रा जी के मुखारबिंद से किया जा रहा है।
इस दौरान सर्व प्रथम कलश यात्रा का शुभारम्भ नया रामनगर स्थित जनता इण्टर कॉलेज के पास से शिवालय से प्रारम्भ हुआ जिसमे बैण्ड बाजों के साथ श्री भागवताचार्य जी की बग्घी हाथी घोड़ा आदि मौजूद रहे। तदुपरांत सभी भक्तगण पीत (पीले रंग के लिवाज) वस्त्र में दिखाई दिए। और भजन कीर्तन के धुन में नाचते हुए किरण गार्डन में आयोजित कथा के पंडाल पर पहुंचे एवं व्यास गद्दी पर कथा वाचक आचार्य श्री योगेन्द्र मिश्रा जी विराज मान हुए और सर्व प्रथम गणेश पूजन के साथ श्रीमद भागवत कथा के महत्व को बतलाया। इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। इस दौरान आचार्य श्री योगेन्द्र मिश्रा जी ने भागवत कथा को सुनने के लिए सभी भक्तों को अधिक संख्या में उपस्थिति होने हेतु आहवान किया।
इस दौरान आचर्य जी ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है ओर हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियॉ हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है।
पहले दिन भगवान के विराट रूप का वर्णन किया गया। जिसे सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। भजन, गीत व संगीत पर श्रद्धालु देर तक झूमते रहे। श्रीमद भागवत कथा के इस पावन अवसर पर श्रोता के रूप में श्री भगवानदास शुक्ला, श्री भगवती शरण शुक्ला अमित शुक्ला मयंक शुक्ला सौरभ दुबे विमल अशोक दीक्षित अश्वनी दीक्षित सूरज दीक्षित अनुराग दीक्षित वेदान्त शुक्ला सिद्धान्त शुक्ला वरदान शुक्ला, श्रेया शुक्ला श्रीमती कमल शुक्ला किरण शुक्ला मीनू शुक्ला रीनू शुक्ला ऋचा चौबे आदि सैकड़ों श्रोतागण मौजूद रहे।