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महँगाई ने छीनी दीपावली की मिठास, फिर भी बाजार गुलजार

कोंच (पी.डी. रिछारिया)। सनातन संस्कृति के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली की मिठास को मंहगाई डायन भले ही लील गई है लेकिन इससे पर्व के उत्साह में कमी नहीं आई है जिसके चलते बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है। हालांकि इस बार महंगाई के कारण बाजारों में पिछले साल की तुलना में खरीद क्षमता प्रभावित हुई है लेकिन पर्व की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए लोग लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों के अलावा भगवान के लिए नए वस्त्र भी खरीद कर ले जा रहे हैं। दीपावली पूजन में परंपरागत रूप से प्रयोग में आने वाले खीलें और गट्टा भी लोग खरीद कर ले जा रहे हैं। मंगलवार को धनतेरस के लिए भी वर्तन, सर्राफा आदि की दुकानें सज गई हैं।

पिछले दो साल से कोरोना के कारण लोगों के रोजगार चले गए और व्यापार भी चौपट हो गए, खेती किसानी में भी उम्मीद से कम आमदनी होने का सीधा असर लोगों की आमदनी पर पड़ा है। इधर, आम जरूरतों की चीजों के आसमान छूते दाम आम लोगों के गले की फांस बनते जा रहे हैं। दिन पर दिन बढ़ रही महंगाई को लेकर परेशान हाल लोगों की क्रय शक्ति क्षीण हो गई है, लेकिन दीपावली जैसे बड़े पर्व को मनाने का उत्साह भी लोग गंवाना नहीं चाहते हैं सो ग्राहकों की चहल पहल कम होने के बावजूद बाजारों में बिक्री ठीकठाक है। व्यापार संगठन के पदाधिकारी विकार अहमद ने बताया कि जब से कोरोना ने दस्तक दी है तब से लोगों के व्यापार पर इसका भारी असर पड़ा है।

लोग जैसे तैसे अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं और अब दिन पर दिन बढ़ रही महंगाई के कारण भी व्यापार चौपट होने की कगार पर हैं। ग्राहक दुकानों पर कम ही आ रहे हैं, लोग थोड़ी बहुत खरीदारी से ही काम चला रहे हैं। बाजार में त्यौहार की सौदा करने आए भेंड़ गांव के किसान दिनेश पाठक बताते हैं कि पेट्रोल, डीजल, खाद्य तेल और रसोई गैस के सिलेंडरों ने घरों का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। अब ऐसे में त्यौहार मनाना मुश्किल हो रहा है लेकिन चूंकि साल भर में दीपावली का त्यौहार आता है सो जेब तो ढीली करनी ही पड़ेगी।

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