अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंगनवाड़ी की महिलाओं ने दिया ज्ञापन
उरई। सोमवार को आंगनवाड़ी बचाओ संयुक्त संघर्ष मोर्चा की महिलाओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित जिलाधिकारी कार्यालय में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट गुलाब सिंह को एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से आंगनवाड़ी की महिलाओं ने बताया कि चुनाव से पहले सरकार बनने के 120 दिनों के अंदर आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर की समस्याओं पर कमेटी बनाकर मानदेय वृद्धि की घोषणा की थी जबकि आज केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है के वरिष्ठ मंत्रियों ने भी कहा था कि यह खोखली घोषणा नहीं है इसे हर हाल में पूरा करेंगे पार्टी चुनाव जीतने के 4 साल बाद भी आंगनवाड़ी की याद नहीं आई यशोदा माता कहकर हमें सम्मानित किया गया लेकिन न मानदेय बढ़ा और न ही हमारी समस्याओं का हल हुआ। आंगनवाड़ी संघ लंबे समय से अपनी मांगों को पूरा करने एवं इस संबंध में वार्ता बुलाए जाने का अनुरोध कर रही है इसी संबंध में आज 9 अगस्त को एक बार पुनः इस ज्ञापन के माध्यम से आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगों को तत्काल पूरा किया जाए।
हमारी मांगों में : पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र जिसे आपने संकल्प पत्र 2017 का उस में किए गए वादों से कुछ ना कुछ तो पूरा करें और हरियाणा राज्य सरकार की तर्ज पर कम से कम 10000 रू० मानदेय फंड और पेंशन दिया जाए।
– महामारी काल में दिल की बीमारी शुगर और अस्थमा या सांस की बीमारी से पीड़ित आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर को आंगनवाड़ी के अतिरिक्त कोई अन्य ड्यूटी न दी जाए और न ही कोरोना हॉटस्पॉट एरिया मे न लगाया जाए, अतिरिक्त ड्यूटी हेतु आदेश पत्र दिया जाए। बिना आदेश के दबाव डालकर अतिरिक्त ड्यूटी न करवाई जाए। ड्यूटी के दौरान मृत वर्कर को 50 लाख रू० का मुआवजा दिया जाए अतिरिक्त कार्य न लिए जाने के कई आदेश आए हैं इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
– नई नियुक्ति करने से पहले हेल्पर का प्रमोशन वर्कर के पद पर किया जाए इसके बाद ही नई भर्ती की जाए साथ ही वर्कर का प्रमोशन सुपरवाइजर के पद पर किया जाए।
– आंगनवाड़ी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सभी अभ्यार्थियों की मेरिट लिस्ट ग्राम सभा बार वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाए यदि ऐसा ना किया तो ये नियुक्तियां विवाद और भ्रष्टाचार में फल सकती हैं।
– आंगनवाड़ी में भर्ती में मनमाने ढंग से आरक्षण किया जा रहा है आरक्षण के संबंध में स्पष्ट आदेश दिया जाए क्योंकि आरक्षण के नाम पर विभाग में मनमानी की जा रही है।
– पोषाहार वितरण में स्वयं सहायता समूह के स्थान पर मातृ समितियों से काम लिया जाए, आंगनवाड़ी के स्टॉक के आधार पर परियोजना कार्यालय के स्टॉक रजिस्टर का मिलान करके प्रमाणित किया जाए, लाभार्थियों पोषाहार वितरण के संबंध में आंगनवाड़ी वर्कर के प्रमाणीकरण को आवश्यक माना जाए हॉट कुक फूड तुरंत शुरू किया जाए।
– स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीकाकरण या सर्वे समेत विभागीय कार्य के अतिरिक्त ड्यूटी करने पर कम से कम ₹300 प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जाए एवं पोलियो ड्यूटी का पैसा बढ़ाया जाए।
– मानदेय को महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए एवं राज्य कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता दिया जाए और मानदेय को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए।
– आंगनवाड़ी कर्मियों को हेल्थ वर्कर की तरह कोरोना वारियर्स का दर्जा दिया जाए कोविड-19 के दौरान कम से कम 10,000 रू० प्रति माह महामारी भत्ता दिया जाए जिससे को व्हाट्सएप रक्षा हेतु मास्क सैनिटाइजर पीपीई किट दवाई और जोखिम से बचने का इंतजाम किया जा सके।
– लाभार्थियों के राशन की मात्रा दोगुनी की जाए बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्थानीय सूची के अनुसार माता समूहों के सहयोग से पोषाहार और गर्म भोजन सुनिश्चित किया जाए।
– फीडिंग के नाम पर वसूली बंद हो डिजिटल रिपोर्टिंग के लिए टेबलेट दिया जाए जिसमें फीडिंग सॉफ्टवेयर हिंदी में हो जब तक टेबलेट ना दिया जाए फीडिंग की जिम्मेदारी विभाग की हो आंगनवाड़ी से हार्ड कॉपी में रिपोर्ट ली जाए।
– जब तक नई भर्ती ना हो रिक्त पदों पर पुनः पुरानी वर्कर हेल्पर से ही कार्य करवाया जाए जिससे कि बच्चों के पोषण के हक की अवहेलना न हो नई भर्ती में ड्यूटी के दौरान मृत और जबरन हटाई गई 62 साल वाली वर्कर हेल्पर के परिवार की बेटी या बहू की सीधी भर्ती का प्रावधान किया जाए।
– मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह हो तथा हर महीने के नाम के साथ मानदेय भुगतान हो।
– मानदेय भुगतान और पोषाहार को पोषण ट्रैकर एप के साथ न जोड़ा जाए।
– 62 वर्षीय आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर की छटनी के 20 जुलाई के आदेश को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका यूनियन द्वारा दाखिल की गई है जिस पर सुनवाई चल रही है जब तक याचिका पर सुनवाई पूरी ना हो जाए नई नियुक्तियां ना की जाए।
– जो केंद्र किराए पर चल रहे हैं वहां वर्कर तो मकान मालिक को समय पर भुगतान कर देती हैं जबकि विभाग द्वारा कई कई महीने का किराया एकमुश्त आता है। केंद्र किराए का भुगतान प्रतिमाह कराया जाए शहरी केंद्रों में किराया अभी भी 750 रू० दिया जा रहा है जो बहुत कम है। इसे पोषण मिशन दिशा निर्देश के अनुसार 3500 रू० किया जाए।
– पोषण मिशन के अंतर्गत फोन डाटा हेतु 500 रू० और 250 रू० का भुगतान किया जाना था पिछले 3 सालों का नेट के इस पैसे का भुगतान किया जाए पोषण वाटिका की जिम्मेदारी आंगनवाड़ी को ना दी जाए।
– सभी मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्रों में बदला जाए
– गर्मी और सर्दी में 15 – 15 दिनों का अवकाश दिया जाए
– किसी भी कारण से ड्यूटी के दौरान मृत आंगनवाड़ी कर्मियों को कम से कम 10 लाख रू० का मुआवजा दिया जाए इनके परिवार की बेटी या बहू की सीधी भर्ती की जाए।
– बीमा योजना में उम्र सीमा 59 साल है इसे 65 साल किया जाए सरकार बीमा की किस्त जमा कर रही है तो बीमा राशि कंपनी के पास ना छोड़ी जाए बीमा अवधि के बाद जीवित रहने वाली वर्कर हेल्पर को बीमा राशि का रिटायरमेंट पर भुगतान किया जाए बीमा योजना में बीमारी को भी कवर किया जाए अभी तक बीमा का कोई भुगतान नहीं किया गया है इसलिए बीमा दावों के सहज भुगतान के लिए प्रदेश स्तर पर एक नोडल अधिकारी को नामित किया जाए।
– प्री प्राइमरी की ट्रेनिंग लेने वाली वर्कर को प्री प्राइमरी अध्यापक का दर्जा दिया जाए 3 से 6 साल के बच्चों को स्कूल की तरह किताबें ड्रेस जूते स्वेटर दिए जाएं एवं प्री प्राइमरी की कक्षाएं आंगनवाड़ी केंद्र में ही लगे स्कूल में नहीं।
– नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया में गंभीर प्रक्रिया गत खामियां हैं तथा ट्रांसपेरेंसी का पूर्णता अभाव है हमारा अंदेशा है कि सुधारना किया गया तो यह नियुक्तियां आरोप प्रत्यारोप शिकायत भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सवालों के घेरे में फंस जाएंगे यूनियन के पूर्व में दिए गए सुझावों पर विचार करते हुए चयन प्रक्रिया में उपयुक्त बदलाव करें।
– आईसीडीएस की पुरानी वेबसाइट के बदलाव दुर्भाग्यपूर्ण हैं आईसीडीएस उत्तर प्रदेश की नई वेबसाइट पर सभी अधिकारियों और मंत्रियों के सीयूजी नंबर और ईमेल पते सभी पुराने शासन आदेश और सर्कुलर सभी डीपीओ की मेल ऐड्रेस और बजट समेत प्रतिमाह दिए जा रहे राशन पोषाहार की रिपोर्ट भी नियमित वेबसाइट पर शेयर की जाए।
शिक्षा अधिकार कानून की तरह है संसद में ईसीसीई कानून बनाकर आंगनवाड़ी को पक्का करें।
– एक ही स्थान पर 3 साल से ज्यादा जमीन अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जाए।
– आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाए न्यूनतम वेतन 45वीं और 46वीं इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस/भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार पेंशन ईएसआई पीएफ आदि दिया जाए।
– आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं सामाजिक कार्यकर्ता है उनकी समाज सेवा का सरकार को उचित सम्मान करते हुए के बच्चों को सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती में अतिरिक्त अंक दिए जाएं।
– अध्यापक भर्ती विशेषकर प्राइमरी क्लास के अध्यापकों की भर्ती में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को निश्चित कोटा दिया जाए।
– जल्द से जल्द यूनियन प्रतिनिधियों के साथ ज़ूम या फिजिकल मीटिंग बुलाकर मांग पत्र पर वार्ता करें।
यदि जल सेजल मांगों पर विचार न किया गया तो संयुक्त मोर्चे के नेतृत्व में प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाकर प्रदेश की राजधानी में सितंबर के माह में धरना किया जाएगा। इस ज्ञापन के दौरान जिला अध्यक्ष संगीता कटिहार सहित अंजना सविता राबिया बेगम गीता देवी दीपमाला माधुरी देवी उषा बाथम कमलेश कुमारी अनीता गोयल राजेश्वरी शांति देवी मंजूलता जयललिता बाथम नुसरत बेगम पुष्पा देवी गौतम अशोक कुमारी निधि देवी सीमा उमरे विद्या छुन्नी परवीन बेगम मीरा देवी ममता श्रीवास्तव मीना देवी ममता सेंगर महारानी ममता राजेश कुमारी मधु आदि आंगनवाड़ी महिलाएं उपस्थित रहे।