जालौन नगर में धूमधाम से मनाई गई जनेश्वर मिश्र की जयंती

जालौन। समाजवादी नेताओं में राम मनोहर लोहिया के बाद जनेश्वर मिश्र को सबसे ज्यादा इज्जत दी जाती है। जनेश्वर मिश्र बेहद ही लोकप्रिय और सादगी पसंद नेताओं में गिने जाते थे। यह लोहिया जी के निजी सचिव रहे। जनेश्वर मिश्र ने जिस नेता को विधानसभा चुनाव में हराया वह बाद में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना और फिर देश का प्रधानमंत्री भी बन गया। आज यानी 5 अगस्त को जनेश्वर मिश्र की जयंती है। श्री मिश्र जी समाजवादी पार्टी से केंद्रीय मंत्री रहे, चार बार लोकसभा तीन बार राज्यसभा का चुनाव लड़ा। यह बलिया जिले के सुभ्नाथ गांव के रहने वाले थे मिश्रा जी ने अन्याय और अत्याचार शोषण, छुया छूत भेद भाव व पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष कूट कूट कर भरा था। सारे जीवन इसके खिलाफ संघर्ष किया। इन्होने जात पात खत्म करने का बीड़ा उठाया था। चुनाव का ऐलान किया तो कैद किए गए कुछ लोगों के मुताबिक विजय लक्ष्मी पंडित को हर हाल में जिताने के लिए तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाकर जनेश्वर मिश्र को जेल में बंद करा दिया गया ताकि, जनेश्वर की आवाज दब सके। हालांकि, इस बात की सच्चाई पर संशय है। जनेश्वर मिश्र को आचार संहिता लगने के बाद और चुनाव से मात्र 7 दिन पहले ही रिहा किया गया। हालांकि, कुछ लोग जनेश्वर को जेल में बंद करने की वजह को सही नहीं मानते हैं। आखिरकार, चुनाव नतीजों में जनेश्वर मिश्र को नजदीकी अंतर से हार का सामना करना पड़ा। मौके पर दीपू महाराज, पम्मू महाराज, बलवान गुर्जर, कल्लू महाराज महेश सर जी, गजराज कुशवाहा प्रदीप दीक्षित, रमाकांत, दीपक पाण्डेय, रामेन्द्र त्रिपाठी, सुमित त्रिपाठी, श्याम यादव, यूनुस शेख, धर्मेश शर्मा (बुंदेला राजा) राम सिंह राजपूत, सुरेंद्र राजपूत, रिंकू गुर्जर, कमलेश दवे, शालीम मंसूरी, राघवेंद्र गुर्जर, शिखर, संजू कतेरिया, राजनारायण, पिंटू महाराज, ज्ञान सवरूप राजपूत, भानु राजपूत, धर्मेंद्र राजपूत, आदि कई समाजवादी साथी मौजूद रहे।