मां के दूध से बच्चे की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता : डॉ० वीरेंद्र सिंह

उरई। विश्व स्तनपान सप्ताह एक अगस्त से सात अगस्त के बीच मनाया जाएगा। इसमें स्तनपान को बढ़ावा देने की गतिविधियां आयोजित की जाएगी। इस बार कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित होंगे। फ्रंटलाइन वर्कर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर गर्भवती और माताओं को स्तनपान के बारे में जागरूक करेगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ऊषा सिंह का कहना है कि स्तनपान का महत्व कोविड संक्रमण काल में और भी बढ़ जाता है। क्योंकि स्तनपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के रिपोर्ट के आधार पर प्रत्येक मां यहां तक कि कोविड पीड़ित मां को भी शिशु स्तनपान कराना चाहिए। अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि कोरोना वायरस मां के दूध से शिशु में पहुंच सकता है। बस मां को दूध पिलाते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। दूध पिलाने से पहले स्तनों को और खुद के हाथ साबुन से कम से कम 40 सेकंड तक साफ करना चाहिए और नाक, चेहरे व मुंह में मास्क लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मां दूध पिलाने में असमर्थ है तो उस स्थिति में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग के मां के दूध को साफ कटोरी में निकालते हुए चम्मच से पिलाया जा सकता है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ वीरेंद्र सिंह कहते है कि मां का दूध शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है। स्वास्थ्य कर्मियों से कहा गया है कि वह शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने के लिए मां को प्रेरित करें। माताओं को स्तनपान करने का सही तरीका बताया जाए। शिशुओं को स्तनपान के अलावा कोई भी कृत्रिम पदार्थ न दें।
एनएचएम के डीपीएम डॉ प्रेम प्रताप का कहना है कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां घर घर जाकर धात्री मां और शिशु को स्तनपान कराने के बारे में समझाएगी। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्र या फिर ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी) में स्तनपान कराना सिखाए। इसके साथ ही स्तनपान के बारे में घर घर जाकर भी देंखे कि स्तनपान ठीक से कराया जा रहा है या नहीं। छह माह तक केवल स्तनपान ही कराया जाए। इस बार विश्व स्तनपान का नारा स्तनपान विकल्प नहीं संकल्प है।