जालौन। ग्राम हरदोई राजा में चल रहे 9 कुण्डीय महायज्ञ में श्री मद् भागवत कथा वाचक परम् श्रद्धेय सद्गुरु देव बालयोगी साध्वी निष्कम्प चेतना गिरि जी महाराज जी द्वारा बताया गया है। कि अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपना कर्म जो व्यक्ति नही जानता वह किसी पशु से कम नही है और जो अपना धर्म संस्कृति छोड़कर दूसरी सभ्यता संस्कृति अपनाते हैं उनसे बड़ा पापी इस संसार मे कोई नही है। कथा के तृतीय दिवस पर ध्रुव जी की कथा का वर्णन करते हुए पं० कथा व्यास गुरु जी ने बताया कि ध्रुव जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान मिलने के बाद जब कुबेर जी ने कहा वरदान मांगों तो ध्रुव जी ने सिर्फ भगवान की भक्ति ही माँगी ध्रुव जी ने कहा जिस तरह से एक बार भोजन करने के बाद पुनः बार बार भोजन की आवश्यकता होती है। जीवन के लिए उसी प्रकार भगवान की भक्ति भी जितनी बार की जाए वह कम है जब अजामिल जैसा पापी अंतिम समय मे नारायण नारायण बोलकर नारायण लोक का रास्ता सुगम कर लिया तो फिर हम सभी को तो हर समय नारायण का भजन चिंतन करना चाहिए साध्वी जी ने भक्तों से कहा कि महायज्ञ में अधिक से अधिक दान अवश्य करना चाहिए क्योंकि हम सभी से दैनिक जीवन मे जो भी छोटी मोटी गलतियां हो जाती है उनसे मुक्त होने के लिए दान करना अति आवश्यक होता है जैसे एक बड़े कलश में गंगाजल भरा हो और उसमें एक गिलास अगर सादा जल मिला दिया जाए तो वह भी गंगाजल हो जाता है ठीक उसी तरह दान करने से हमारे अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है इसलिए महायज्ञ में दान धर्म भक्ति बहुत आवश्यक है भक्ति से ही मुक्ति मिलती जीवन का उद्धार होता है।