उरई/जालौन।त्यौहारों की तरह याद आती है सरकारी महकमों को प्रतिबंधित चीजों पर कार्रवाई करने की याद। हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा पॉलिथीन का उपयोग वर्जित किया गया था। जिसके बाद सम्बन्धित विभागों ने शहरों में कई जगह प्रतिबंधित पॉलिथीनों पैकेटों की जमाखोरी को लेकर छापेमारी की थी। जिसके बाद बाजार में हड़कंप मच गया था और फलस्वरूप दुकानदारों ने भी पॉलिथीनों का उपयोग करना लगभग बंद कर दिया था और कागज के बने लिफाफा का उपयोग बहुतायात में शुरू कर दिया हालांकि कुछ दुकानों में आज भी पेपर पैकेट का उपयोग किया जाता है लेकिन जहां लापरवाही हुई वहीं से दुकानदारी भी पुनः शुरू हो गई और एक बार फिर प्रतिबंधित पॉलिथीन है बाजार में खुलेआम उपयोग में लाते हुए दिखने लगी अब इसमें किसका दोष है इसका जवाब कौन देगा हमारा मानना है की जब तक प्रशासन कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा तब तक इसी प्रकार यह होता रहेगा। लेकिन खाद्य विभाग इस ओर ध्यान देना शायद भूल गया है और ठेले से लेकर बड़े प्रतिष्ठानों तक इसका उपयोग जोर शोर से किया जा रहा है जबकि इस समय कोरोना जैसी बीमारी फैली हुई है जिसमें पॉलिथीन पैकेट इस बीमारी का अच्छा वाहक हो सकता है लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते बाजारों में प्रतिबंधी पॉलिथीन लगातार देखने को मिलती है और शायद मिलती रहेंगी।