तम्बाकू निषेध दिवस पर हम सभी ले शपथ कि देश को करेंगे तम्बाकू मुक्त : डॉ. प्रियंक कुमार

उरई/जालौन। विश्व मानवाधिकार परिषद यूथ प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रियंक कुमार ने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर कहा है कि 31 मई को प्रतिवर्ष विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन से व्यक्ति के जीवन में शारीरिक एवं मानसिक दुषप्रभाव होते हैं, जिसके लिए आमजन को जागरूक करने तथा तम्बाकू के सेवन से रोकथाम संबंधित नीतियों का कड़ाई से पालन किया जाये।
राष्ट्रीय अध्यक्ष यूथ ने संदेश में कहा कि 24.70 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक स्थलों पर अप्रत्यक्षित धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल यूथ टोबैको द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत पहली सिगरेट 8 से 13 वर्ष की आयु में पीते हैं एवं प्रतिवर्ष 55 हजार बच्चे नियमित रूप से तम्बाकू सेवन करने वालों की सूची में जुड़ रहे हैं, जो कि चिन्ता का विषय है। डॉ. प्रियंक कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच. ओ.) द्वारा बताया गया कि धूम्रपान और तम्बाकू के बने अन्य उत्पादों का सेवन करने वालों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 रोग के गंभीर प्रकरणों में दिल की बीमारी, कैंसर, सांस की बीमारी एवं मधुमेह के शिकार लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में धूम्रपान करने वालों की भी होती है।
धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में मुंह से फेफड़ों तक को सुरक्षा देने वाली प्राकृतिक आंतरिक प्रणाली क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे उनके फेफड़ों की हवा को साफ करने की क्षमता भी समय के साथ कम हो जाती है। ऐसे लोग सामान्य परिस्थितियों में भी लम्बी साँस नहीं ले पाते हैं। ऐसे में जब ये लोग कोरोना के संपर्क में आते हैं, तो इन पर बीमारी का अधिक असर होता है। गर्भावस्था के समय धूम्रपान अथवा धूम्ररहित तम्बाकू का सेवन से होने वाले शिशु को दुषप्रभाव की संभावना अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि जिसमें अस्थमा, श्वसन तंत्र का संक्रमण एवं क्षयरोग इत्यादि होने की संभावना प्रबल होती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष यूथ डॉ प्रियंक कुमार ने कहा कि आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर हम सभी संकल्प करें कि जीवन में हम कभी भी किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेगें।