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शारीरिक के साथ मानसिक बीमारी के प्रति भी जागरूक रहने की जरूरत : डॉ० एन.डी. शर्मा

जिला अस्पताल के मनकक्ष में पांच साल में पांच हजार लोगों की हुई काउंसलिंग

उरई/जालौन। शारीरिक बीमारी सभी को नजर आती है और पीड़ित को इसके बारे में पता होता है कि वे बीमार है और उसे इलाज की जरुरत है। जबकि मानसिक बीमारी या मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर कभी-कभी उस व्यक्ति को भी पता नहीं चलता, जो खुद इस बीमारी से जूझ रहा होता है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बेहद जरूरी है। लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० एनडी शर्मा का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सरकार भी गंभीर है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला अस्पताल में सितंबर 2017 में मन कक्ष संचालित किया जा रहा है। पांच सालों में करीब पांच हजार लोगों ने मनकक्ष में जाकर काउंसलिंग कराई है। मनकक्ष में अवसाद, ओसीडी (एक ही काम को बराबर बार करना, छुआछूत), मनोविदिलिता (आवाजें सुनाई देना, भूत प्रेत, देवी देवता का आभास होना), चिंता (जरूरत से ज्यादा सोचना, विचारना, उलझन, घबराहट), मूड डिसआर्डर ( एकदम से बहुत ज्यादा उत्तेजना, खुश होना या फिर दुखी होना), सिरदर्द (माइग्रेन), नींद न आना, डिमेंशिया (जरूरत की चीजों को भूल जाना, नाम, पता, दैनिक उपयोग की चीजें भूलना) जैसी बीमारियों के मरीजों की काउंसलिंग की गई।

नोडल अधिकारी डॉ० वीरेंद्र सिंह का कहना है कि मानसिक रोग, कई तरह की मानसिक समस्याओं के कारण हो सकते हैं। इसकी वजह से इंसान की मनोदशा, व्यवहार और सोच पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है। डिप्रेशन, चिंता, स्ट्रेस और स्किजोफ्रेनिया जैसी समस्याएं मानसिक बीमारी कहलाती हैं। इंसान की सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक स्थिति के कारण इन समस्याओं की शुरुआत हो सकती है। जागरूकता की कमी और लोगों का इस पर ध्यान न देने की वजह से ये बीमारियां धीरे-धीरे गंभीर होने लगती हैं और मरीज के लक्षण भी बिगड़ने लगते हैं। मानसिक बीमारियों की वजह से इंसान का शारीरिक स्वास्थ्य और कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।

मानसिक रोग के लक्षण –
मन कक्ष में तैनात क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास का कहना है कि किसी भी काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ापन और बेचैनी, नींद से जुड़ी परेशानियों की शुरुआत, वजन तेजी से बढ़ना या कम होना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आना, इंसान की मनोदशा में बदलाव, शरीर में उर्जा की कमी, खानपान की आदतों में बदलाव, सिरदर्द, कमर दर्द और शरीर में लगातार दर्द, शराब या ड्रग्स का सेवन आदि मानसिक बीमारी के लक्षण है।

इलाज के साथ अपनो के सहयोग की जरूरत –
मनोचिकित्सक डॉ० बीमा चौहान का कहना है कि मानसिक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को इलाज के साथ-साथ अपनों के सहयोग की भी जरूरत होती है। नियमित व्यायाम, योग अभ्यास और हेल्दी डाइट लेने से आपको इन समस्याओं में फायदा मिलता है। मानसिक बीमार को एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाएं और इलाज के लिए प्रेरित करें।

बच्चा सामान की तोड़फोड़ करता था –
केस -1 एक स्कूल में कक्षा चार में पढ़ने वाला दस साल का अमन (काल्पनिक नाम) एक जगह नहीं बैठ पाता था।सामान, तोड़ना, फेंकना जैसे समस्या को लेकर परिजन इस साल मनकक्ष में पहुंचे। उन्हें बताया कि बच्चे की हरकतों के कारण परेशान है। उसके परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग की गई है और बच्चे को समझाया गया। बच्चे की हालत अब पहले से बेहतर है।

नौकरी जाने का भय था –
केस-2 प्राइवेट नौकरी कर रहे एक 37 साल के सुरेश (काल्पनिक नाम) ने पिछले साल नवंबर में ओसीडी की समस्या लेकर पहुंचे और बताया कि वह एक ही बात को बार बार दोहराता था। मन उदास रहता और अजीब सा भय बना रहता। उसे नौकरी जाने का भय था। उसका मनकक्ष में इलाज हुआ। अब वह ठीक है और अपनी नौकरी भी कर रहा है।

हर व्यक्ति पर शक की समस्या थी –
केस-3 शहर के एक मोहल्ला निवासी पचास वर्षीय सविता (काल्पनिक नाम) को नींद न आना, हर व्यक्ति पर शक करना, ज्यादा गुस्सा आने की समस्या थी। उनका भी मनकक्ष में इलाज हुआ। दवा दी गई, काउंसलिंग की गई। फैमिली थैरेपी की गई। इसके बाद उनकी हालत अब बिल्कुल ठीक है।

इतने मरीजों की आईक्यू लेबल की जांच कर प्रमाण पत्र जारी किए गए :-

वर्ष         आईक्यू लेबल सर्टिफिकेट जारी किए गए
2019            100
2020              29
2021              81
2022            112

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