गर्मी एवं लू से बचाव के लिए अपना रखें ख़ास ख्याल ! अधिक से अधिक पियें पानी : सीएमओ

उरई/जालौन। अप्रैल शुरू होते ही गर्मी अपना असर दिखाने लगी है। अभी से ही पारा लगभग 40 डिग्री जा पहुंचा हैI ऐसे में संक्रामक बीमारियां जोर पकड़ रही हैंI इसके साथ ही दिन प्रतिदिन लू भी ज़ोर पकड़ रही हैI जनपद में दस्त, उल्टी और डायरिया के मरीज बढ़ रहे हैं। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एनडी शर्मा का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि लू के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना तथा सिर में तेज दर्द होना, अधिक प्यास लगना, पेशाब कम होना व जलन होना, पसीना नहीं आना व भूख कम लगना, चक्कर आना तथा कभी-कभी बेहोश हो जाने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल ही उपचार कराना चाहिए। तेज गर्मी के कारण लू लगने के अलावा मांसपेशियों में दर्द, थकावट तथा बेहोशी भी हो सकती है, जिसमें बुखार नहीं होता।
लू से प्रभावित होने वालों का तत्काल उपचार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुझाव दिए गए हैं। लू के प्रारंभिक उपचार के तहत मरीज को छायादार एवं हवादार स्थान पर रखना चाहिए। मरीज को ठंडे पानी या बर्फ से तब तक गीला करते रहना चाहिए जब तक तापमान कम न हो जाए। मरीज को तापमान नियंत्रण प्रणाली सामान्य होते तक आराम करना चाहिए। अधिक पानी या अन्य उपलब्ध पेय पदार्थ जैसे कच्चे आम का पना, जल-जीरा, मठ्ठा, शर्बत, नीबू पानी आदि पिलाते रहना चाहिए।
ओआरएस का घोल या स्वंय बनाया गया जीवन रक्षक घोल (एक ग्लास पानी में एक चम्मच शक्कर व एक चुटकी नमक) देना अधिक उपयोगी होता है। इसके साथ ही उन्होने बताया मौसम के इस अचानक बदलाव के कारण संक्रामक बीमारियाँ बढ़ने लगी हैंI ऐसे में बहुत जरूरी है कि सभी अपनी सेहत का खान-पान का बहुत ध्यान रखेंI उन्होने संक्रामक रोगों से बचाव के तरीके बताते हुए आमजन से अपील की कि सभी आमजन से अनुरोध है कि इस बदलते मौसम में अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहे तथा संक्रामक रोगों से अपने आप को बचाएंI
लू से बचाव हेतु करें ये उपाय –
• प्रचार माध्यमों पर हीट वेव / लू की चेतावनी पर दे ध्यान
• अधिक से अधिक पानी पिये, यदि प्यास न लगी हो तब भी
• हल्के रंग के पसमय पसीना शोषित करने वाले वस्त्र पहने
• धूप के चश्मे, छट, टोपी, सफा इत्यादि का प्रयोग करें
• खुले में कार्य करने वाले सर, चेहरा, हाथ पैर को गीले कपड़ों से ढके रहे
• यात्रा करते समय पीने का पानी साथ रखे
• ओआरएस, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबूपानी, छछ आदि
• उपयोग ए करें जिससे पानी की कमी की भरपाई हो सके
• हीट स्ट्रोक, हीट रेश, हीट क्रेम्प के लक्षणो जैसे – कमजोरी, चक्कर आना, सर दर्द, उल्टी आना, मूर्छित होना आदि को पहचाने एवं तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें
• जानवरों को न छायादार स्थानो पर रखे एवं पीने के लिए पर्याप्त पानी दें
• घरो को ठंडा रखे दिन भर दरवाजे, पर्दे आदि बंद कर के रखे एवं शाम बाद घर को ठंडा एवं ताजी हवा के लिए इन्हे खोल दें
• कार्य स्थल पर गर्भस्थ महिला कर्मी एवं रोग ग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान दें
क्या न करें –
• बच्चों एवं पालतू जानवरों को खड़ी गाड़ियों में न छोड़ें
• दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचे
• गहरे रंग के सिंथेटिक कपड़ों को पहनने से बचें
• अधिक तापमान मे श्रमसाध्य करने से बचे
• शराब, चाय, कोफी, कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक आदि के उपयोग से बचे क्योंकि ये निर्जलीयकरण करता हैI
• किसी भी प्रकर के लक्षण महसूस होने पर बिना चिकित्सीय सलाह के कोई भी दावा न ले
दस्त एवं संक्रामक रोगों से इस प्रकार करें बचाव –
क्या करें –
• अधिक दस्त, त्वचा सूख रही है तथा पैरों में एंथन हो तो नींबू की शिकंजी तथा ओ.आर.एस के घोल का प्रयोग करेंI
• भोजन के पूर्व स्वच्छता का ध्यान रखते हुए हाथ साबुन से अवश्य धोएँI
• इंडिया मार्का -2 हेंडपम्प के पानी का प्रयोग करें तथा कम जल भराव वाले कुएं / श्रोतों / उथले हेंडपम्प के पानी का प्रयोग न करेंI
• मस्तिष्क ज्वर की सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष / निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दे संक्रामक रोग के फैलने की सूचना अपने निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दे
• मच्छरों से बचाव के पूरे इंतेजाम करें, मच्छरदानी, कुयइल इत्यादि
• संक्रामक रोगों के फैलने की सूचना नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नं – 252516 पर देI
क्या न करें –
• सड़े, कटे, फटे, गले फल एवं सब्जियों का उपयोग न करें I
• बासी भोजन का उपयोग न करेंI
• दूषित जल का प्रयोग न करेंI
• खुले में रखे किसी भी प्रकार के खाद्य सामग्री का प्रयोग न करेंI
• नालियों एवं गड्ढों में जलभराव न होने देI