मंडलायुक्त का एक अनोखा प्रयास ! गांव के विकास के लिये एक मंच पर जीते व हारे प्रत्याशियों के आने का किया आवाह्न
उरई (जालौन) मण्डलायुक्त डॉ० अजय शंकर पाण्डेय ने सभी प्रधानों को एक पत्र जारी कर प्रधानों एवं हारे हुये प्रत्याशियों/क्षेत्र पंचायत सदस्यों को गांव के विकास के लिये एक मंच पर आने का आह्वान किया है। मण्डलायुक्त ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी के पद पर रहते समय “सद्भावना ग्राम योजना की सफलता से प्रेरित होकर जनपद गाजियाबाद यह निर्णय लिया है। मंडलायुक्त की ओर से झॉसी मण्डल के सभी ग्राम प्रधानों/क्षेत्र पंचायत सदस्यों को पत्रिका प्रेषित की गयी है जिसमें कहा गया है कि निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि व प्रधानों द्वारा अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में कल्याणकारी व विकासपरक कार्यों की चर्चा के साथ पंचायतीराज व्यवस्था में सर्वसम्मत शासन प्रणाली के रूप में पंचायतीराज व्यवस्था अपने सभी हितधारकों को शामिल कर स्व-शासन की अवधारणा को मूर्तरूप प्रदान करें। लेकिन सभी पक्षों को साथ में लिये बिना ग्राम पंचायत के सर्वांगीण विकास का लक्ष्य हासिल कर पाना सम्भव नहीं है।
“क्या है मण्डलायुक्त की ग्राम सद्भावना योजना”
• जीते व हारे हुए प्रधानों को संयुक्त रूप से गांव के विकास हेतु एकजुट रहने का संकल्प पत्र देना होगा
• ऐसे ग्राम को ग्राम सद्भावना का नाम दिया जायेगा। ग्राम सद्भावना में जीते हुए प्रधान को कुशल प्रधान व हारे हुए प्रधान को ‘विकास सलाहकार के नाम से जाना जायेगा और नाम जीते प्रधान द्वारा पराजित को और पराजित प्रधान द्वारा ही निर्वाचित को दिया जायेगा।
• दोनों सार्वजनिक कार्यक्रम में एक-दूसरे को इन नामों का बैच पहनायेंगे।
गांव सभा अथवा पंचायत की सभी प्रकार की बैठक में विकास सलाहकार को विशेष रूप से आमंत्रित किया जायेगा तथा कार्यवृत्त का हिस्सा बनाया जायेगा।
विकास सलाहकार द्वारा जो भी सलाह दिया जायेगा उसे नोट करते हुए उस पर अमल किया जायेगा। सभी कार्यवाहियों की सूचना विकास सलाहकार को लिखित रूप में दी जायेंगी। यदि कोई सलाह स्वीकार नहीं होती है तो उसका कारण बताया जायेगा और सम्मानित ढंग से उसका विकल्प खोजते हुये उसका निराकरण किया जायेगा। विकास के इसी सर्वसमावेशी लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों के अंतर्गत मंडलायुक्त ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी के रूप में लागू “सद्भावना ग्राम योजना” का भी जिक्र किया है।जिसके कारण पंचायत प्रतिनिधियों की कार्यशैली में परिवर्तन आया और ग्रामीण विकास में सभी प्रतिनिधियों यहां तक कि पंचायत चुनाव के पराजित उम्मीदवारों को भी साथ लेकर ग्रामीण विकास का कारवां सौहार्दपूर्ण परिवेश में तीव्र गति से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हुआ।