उत्तर प्रदेशजालौनटॉप हेडलाइंसबड़ी खबरराजनीति

भाजपा की हुई भारी किरकिरी, नहीं जिता पाई अपने अधिकृत प्रत्याशियों को

डिंपल गुट रहा हावी, संचालक पदों पर जीते रजत और सुरेंद्र

कोंच (पीडी रिछारिया) सहकारी क्रय विक्रय समिति का चुनाव अभिमन्यु सिंह डिंपल गुट के नाम रहा। करीब नौ घंटे चली मतगणना में विजय सिंह निरंजन, रजत उपाध्याय और सुरेंद्र सिंह विजयी रहे जबकि सत्ताधारी भाजपा अधिकृत दोनों प्रत्याशियों को करारी हार का मुंह देखना पड़ा जिसके चलते भाजपा की भारी भद्द पिटी।

बुधवार को सहकारी क्रय विक्रय समिति चुनाव में व्यक्तिगत कैटेगरी के तीन संचालकों के चुनने के लिए होने वाली मतदान प्रक्रिया में सुबह दस से शाम चार बजे तक करीब 71 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे। इसके ठीक बाद बैलेट बॉक्स में बंद 4014 वोटों की गिनती का काम शुरू हुआ। लोगों का कयास था कि आधी रात यानी रात में बारह से दो बजे के बीच वोटों की गिनती का काम निपट जाएगा और परिणाम मिल जाएंगे, लेकिन रात 11 बजे तक सिर्फ आधे वोटों की ही गिनती हो सकी थी। जैसे जैसे वोट खुलते जा रहे थे, लोगों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही थीं। इसी उहापोह में सारी रात गुजर गई और सुबह करीब बजे निर्वाचन अधिकारी ग्राम पंचायत अधिकारी राकेश त्रिपाठी व सहायक निर्वाचन अधिकारी ग्राम विकास अधिकारी प्रशांत दुवे ने परिणामों की घोषणा की।

उन्होंने बताया कि विजय सिंह निरंजन, रजत उपाध्याय व सुरेंद्रपाल सिंह विजयी रहे हैं। विजय सिंह निरंजन (बॉबी पनयारा) को 3092, रजत उपाध्याय (मोंटी) क्योलारी को 2675 तथा सुरेंद्रपाल सिंह मऊ को 2395 मत मिले। इसके अलावा अखंड प्रताप सिंह 124, अविनाश 30, भाजपा से अधिकृत आशुतोष मिश्रा को 444, दिलीप अग्रवाल 552, भाजपा से अधिकृत श्यामकिशोर गुर्जर जुझारपुरा पूर्व अध्यक्ष क्रय- विक्रय को 284, भाजपा से ही समर्थित शरद निरंजन विरगुवां को 546 मत मिले। तीनों विजयी प्रत्याशियों के समर्थक खुशी से झूम उठे और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया।

तीनों ही विजयी प्रत्याशी अभिमन्यु सिंह डिंपल गुट के बताए जा रहे हैं। हालांकि डिंपल भी भाजपाई हैं और सांसद गुट से ताल्लुक रखते हैं लेकिन पार्टी ने आशुतोष मिश्रा और श्याम किशोर गुर्जर को भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन पार्टी अपने प्रत्याशियों को नहीं जिता पाई जिससे पार्टी की अच्छी खासी भद्द पिटी है।

अधिकृत प्रत्याशियों की हार से भाजपा की हुई किरकिरी –
सत्ता दल होने के नाते भाजपा के लिए सहकारी क्रय विक्रय समिति के संचालकों का चुनाव भारी प्रतिष्ठा का चुनाव था लेकिन अपने अधिकृत प्रत्याशियों को नहीं जिता पाने के कारण उसकी भारी किरकिरी हुई। उसने अपने अधिकृत प्रत्याशी आशुतोष मिश्रा, अनिल अग्रवाल और श्याम किशोर गुर्जर घोषित किए थे जिनमें कतिपय कारणों के चलते अनिल अग्रवाल ने अपना नाम वापस ले लिया था और सिर्फ दो ही प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इन्हें जिताने के लिए भाजपा ने कोई ठोस रणनीति ही नहीं बनाई और इसी दंभ में बनी रही कि सत्ता दल होने के नाते जीत पर तो उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। नतीजा यह रहा कि दोनों ही प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। पिछले चुनाव की तरह ही इस दफा भी पूरे चुनाव में डिंपल गुट का ही दबदबा रहा क्योंकि वोटों का एक बड़ा जखीरा उनके ताबे में था जिसके चलते उनके सभी तीनों प्रत्याशी धुवांधार वोटों से जीते।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Sorry this site disable right click
Sorry this site disable selection
Sorry this site is not allow cut.
Sorry this site is not allow copy.
Sorry this site is not allow paste.
Sorry this site is not allow to inspect element.
Sorry this site is not allow to view source.