बुराईयों पर सदैव विजय का प्रतीक रहे भगवान परशुराम – लवकुश

– अक्षय तृतीया पर परशुराम मय हुआ सोशल मीडिया
– परशुराम चौक ईंटो में ग्रेट इण्डिया महासभा ने किए दीप प्रज्वलित
उरई/जालौन। संपूर्ण ब्रह्मांड को शौर्य, साहस, बुद्धि, पराक्रम, जप तप, कठोर साधना के स्वामी, मातृ और पितृ शक्तियों के आज्ञा पालन के अनुशासन का पाठ पढाने वाले महर्षि परशुराम भगवान भले ही भार्गव ब्राह्मण कुल के थे परंतु अपनी योग साधना और अपार शक्तियों का उपयोग उन्होंने संपूर्ण मानव जाति के उत्सर्ग, कल्याण और चहुंमुखी विकास के लिये किया वो एक मात्र ऐसे महर्षि थे जिन्होंने जाति पांति, क्षेत्र और भाषा व बिना किसी भेदभाव के समग्र मानव जाति की रक्षा के लिये तपोबल और योगबल की बजाये बाहुबल पर भरोसा कर अत्याचारियों और निरंकुश शक्तियों का न केवल सर्वनाश किया बल्कि हमें भी अन्याय से लडने की प्रेरणा दी यद्यपि कुछ अल्पज्ञानी इस बात को क्षत्रियों से जोडकर प्रचारित करते हैं तब हमें तरस आता है उनके ज्ञान पर वो यह भूल जाते हैं कि सीता स्वयंवर के समय लक्ष्मण संवाद के दौरान उनहोंंने न सिर्फ क्षत्रिय सूर्यवंशी भगवान श्री लक्ष्मणजी के आवेश को त्याग कर शांत चित्त से मनन कर आगे बढ़ने का पाठ पढाया बल्कि भगवान शिव से पाया दिव्यशस्त्र अलौकिक शक्तियों से भरपूर धनुष हम सभी के आराध्य सूर्यवंशी भगवान श्री राम को सौंप दिया ताकि वो अनाचारी, अत्याचारी शक्तियों का सर्वनाश कर आमजन की रक्षा कर सकें और अपने शासन से जनमानस का कल्याण करें और इसके पश्चात अमरत्वधारी भगवान परशुराम हिमालय में तप हेतु प्रस्थान कर गये।
आज इस वैश्विक महामारी के काल में जब हममें से कई अपने परिजनों और साथियों को खो चुके हैं ऐसी विषम परिस्थिति में हम सभी अपने अपने घरों में ही भगवान श्री परशुराम की पूजा अर्चना करके इस महामारी में खोये हुये सभी विप्रजनों और खोये हुये संपूर्ण आमजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। और प्रभू से प्रार्थना करे की इस भयंकर महामारी से विश्व पटल को निजात दिलाओ भगवन आज का दिन बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है क्योंकि वैदिक काल से इस दिन का सम्बंध सदैव रहा है सनातन परंपरा में बहुत ही विशेष योगदान रहा है इस दिन का विद्धानों के अनुसार अक्षयतृतिया के दिन से त्रेता युग का आरंभ हुआ था इस तिथि में कोई क्षय नहीं होता इसलिये इसे अक्षय तृतिया कहते है अक्षय तृतिया के दिन माँ गंगा का अवतरण भी पृथ्वी पर हुआ था आज के ही दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी का जन्म भी आज के दिन हुआ था माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतिया के दिन हुआ था द्रोपदी को चीरहरण से श्रीकृष्ण ने अक्षय तृतिया के दिन ही बचाया था श्रीकृष्ण और सुदामा का मिलन अक्षय तृतिया के दिन हुआ था कुबेर को अक्षय तृतिया के दिन ही खजाना मिला था ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी अक्षय तृतिया के दिन हुआ था प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट अक्षय तृतिया के दिन से खोला जाता है अक्षय तृतिया के दिन ही महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था माना जाता है अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ आज से किया जा सकता है वैदिक काल से सनातनी आज के दिन को विशेष रूप से मानते एवं पूजते आ रहे हैं गुड्डा गुड़िया की शादी की रश्मों की परम्परा भी बहुत प्रचलित हैं पूर्वजों के हिसाब से देखा जाए तो आज के दिन अक्ति पूजन की परम्परा से आने वाले वर्ष में अनाजों की उतपत्ति का आकलन भी कर लिया जाता हैं ऐसी मान्यता है।