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नर्स डे पर विशेष ! कोरोना काल में नौकरी परिवार के बीच सामंजस्य बैठाकर कर रही ड्यूटी

उरई/जालौनडाक्टर के साथ हमेशा मरीजों की सेवा में लगी रहने वाली नर्से इस कोरोना काल में परिवार और नौकरी के बीच सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है। घर की टेंशन को छोड़कर ड्यूटी पर आने के बाद मरीजों की सेवा में लग जाती है। नर्स अपनी सेवा भावना से मरीजों का न सिर्फ इलाज करती है, वही अपने आत्मीय व्यवहार से मरीजों के दिल में भी जगह बना लेती है। नर्स डे पर जिला महिला अस्पताल की दो नर्सों की कहानी, उन्हीं की जुबानी।

कोविड अस्पताल हो या इमरजेंसी ड्यूटी, सबमें तत्पर रहती है शशि –
शहर के बघौरा मोहल्ला निवासी जिला महिला अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात शशि पाल नौकरी को पूजा मानती है। उनका कहना है कि नौकरी के पहले ही उन्होंने सोच लिया था कि मरीजों की सेवा करनी है। पढ़ाई के दौरान भी यही सिखाया गया है कि यह मरीजों की सेवा की जॉब है। लिहाजा कोई भी काम वह पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाती है। अस्पताल में गर्भवती के प्रसव का मामला हो या कोविड अस्पताल में ड्यूटी करने का। दोनों जगह पूरी तन्मयता से ड्यूटी की। कोरोना काल में मरीजों को परेशानी हो रही है। ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीजों की ढांढस बंधाने के साथ उनसे जो सहयोग बन जाता है, वह करती है। एक बेटा एक एक बेटी की मां शशि पाल कहती है कि पति की वर्ष 2012 में सड़क हादसे में मौत के बाद परिवार और नौकरी में सामंजस्य बैठाना कठिन हो रहा था। लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया। बेटा इस समय इंटर और बेटी हाईस्कूल में पढ़ रही है। उनकी पढ़ाई और नौकरी की जिम्मेदारी निभाना कठिन हो रहा है। इसके बावजूद वह पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी कर रही है। बच्चों की चिंता रहती है तो उन्हें फोन कर लेती है, बच्चे भी कई बार फोन कर उनके हालचाल लेते है। परिवार और नौकरी में सामंजस्य बैठाकर काम कर रही है। जिसकी सभी सराहना भी करते हैं।

बेटियों संग लड़ रही कोरोना योद्दा बनकर जंग –
नया पटेलनगर निवासी रामजानकी वर्ष 1999 से स्वास्थ्य विभाग में नौकरी कर रही है। नौकरी करने में उन्हें कभी बोरियत नहीं हुई। बल्कि मरीजों की सेवा को वह बहुत अच्छा काम मानती है। उनकी तीन बेटियां है, तीनों स्वास्थ्य विभाग में काम कर रही है। दो बेटियां दो मेडिकल कालेज में स्टाफ नर्स है और इस समय कोरोना ड्यूटी कर रही है। एक बेटी बीएचएमएस करने के बाद झांसी में जॉब कर रही है। बेटा बीटेक करने के बाद जॉब कर रहा है। उन्हें परिवार नियोजन में अच्छे काम के लिए जिला एवं मंडल स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। पीपीआईयूसीडी के लिए कई महिलाओं को प्रेरित किया है। जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जा चुकाहै। पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित भी हो गई थी लेकिन हिम्मत नहीं हारी। ठीक होने के बाद फिर से ड्यूटी पर आकर मरीजों की सेवा में जुटी है। उनका कहना है कि इस महामारी के दौर में जितना हो सके, सबको अपना योगदान देना चाहिए।

महत्वपूर्ण भूमिका होती है नर्स की –
जिला महिला अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एके सिंह का कहना है कि डाक्टर के साथ नर्स की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नर्स कोरोना काल में भी अपनी जिम्मेदारी से काम निभा रही है। कई नर्सों के काम सराहनीय है।

इसलिए मनाया जाता है नर्स दिवस –
नर्स प्रणाली की संस्थापक फ्लोरेंस नाईटिंगल के जन्मदिन 12 मई को हर वर्ष नर्स दिवस के रूप में मनाते हैं। वर्ष 1965 से यह दिवस अंतरराष्ट्रीय नर्स काउंसिल द्वारा नर्स दिवस मनाया जा रहा है। हर वर्ष के नर्स दिवस की थीम अलग. अलग होती है।

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