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विकास से ज्यादा जरूरी है बुंदेलखंड अलग राज्य बनना : सुलखान सिंह

बुंदेलखंड की आठ लोकसभा सीटों पर लड़ेंगे बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार

कोंच (पीडी रिछारिया)। उ प्र पुलिस के पूर्व मुखिया और बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक सुलखान सिंह मानते हैं कि विकास बाद में होता रहेगा, पहले बुंदेलखंड राज्य बनना जरूरी है ताकि यहां से लोगों का पलायन रुक सके। इस पिछड़े क्षेत्र को सभी राजनैतिक दलों ने केवल लॉलीपॉप दिया है, लोगों को उनका हक नहीं। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए दो चीजें सबसे अहम हैं, कृषि के क्षेत्र में प्रगति और औद्योगीकरण लेकिन बुंदेलखंड इन दोनों चीजों से महरूम है। बुंदेलखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर वह जनता के बीच आए हैं और अपनी बात लोगों तथा राजनैतिक दलों तक पहुंचाने के लिए वह यूपी व एमपी की आठ लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार लड़ाने वाले हैं। यह बात उन्होंने यहां जनसत्ता दल के प्रदेश महासचिव डॉ. ब्रजेश सिंह राजावत के आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।

सबसे ईमानदार अफसरों में शुमार रहे पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड के लोगों का भला पैकेजों से नहीं बल्कि अलग राज्य बनने से ही होगा। विकास से ज्यादा जरूरी रोजगार है, बुंदेलखंड के लोगों की बदकिस्मती है कि उनको दूसरे राज्यों में चौकीदारी के लिए पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यहां के गांवों की तस्वीर बहुत ही बदरंग दिखाई देती है, अधिकांश घरों में ताले लटक रहे हैं और परिवार के परिवार गैर प्रांतों में मजदूरी कर अपना पेट भर रहे हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा, फिलहाल अभी तक किसी भी राजनैतिक दल ने प्रथक बुंदेलखंड प्रांत का आश्वासन नहीं दिया है और न ही इस मुद्दे को चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा बनाया है।

उन्होंने कहा, यूपी और एमपी के बुंदेलखंड की आठ लोकसभा सीटों बांदा-चित्रकूट, हमीरपुर-महोबा, जालौन-गरौठा-भोगनीपुर, झांसी-ललितपुर तथा सागर, दमोह, खजुराहो और टीकमगढ़ पर अपने प्रत्याशी लड़ाने जा रहे हैं ताकि बड़े राजनैतिक दलों खासकर भाजपा तक यह संदेश जाए कि अगर उन्होंने अलग बुंदेलखंड राज्य की हिमायत से मुंह मोड़ा तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस दौरान मंडल अध्यक्ष कुंवर जितेंद्र सिंह चौहान, अमित रावत, अवनीत गुर्जर, प्रमोद सिंह, मनोज सिंह, मुनेंद्र सिंह, अंशू राजावत, संजय सिंह आदि मौजूद रहे।

मुख्तार की मौत की सीबीआई या एसआईटी से जांच हो-
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की जेल में रहते हुई मौत को लेकर साफ कहा है कि पुलिस अभिरक्षा में किसी की मौत हो जाना बहुत ही गंभीर बात है। एक दिन पहले डॉक्टर सब कुछ ठीक-ठाक बता रहे थे और दूसरे दिन मौत हो जाना डॉक्टरों की जांच पर भी सवाल खड़े करता है। उसकी मौत किन कारणों से हुई इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। मजिस्ट्रेटी या न्यायिक जांच पर्याप्त नहीं है। जेल में निरुद्ध रहते मुख्तार ने स्लो प्वायजन दिए जाने के जो आरोप लगाए थे उन पर तस्वीर तभी साफ होगी जब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हो या एसआईटी से जांच कराई जाए।

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