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नगर में आवारा कुत्तों एवं बन्दरों की बढ़ती आबादी लोगों के लिए बनी मुसीबत

कालपी/जालौन। नगर में आवारा कुत्ते और बन्दरों की बढती आबादी आम जनता के लियें मुसीबत बन गयी है। वह कब और कहां किस पर हमला कर दे कोई भरोसा नहीं है। इनके आतंक की हकीकत सीएचसी के रिकार्ड में भी दर्ज है जिसमें जुलाई के 10 दिनों में ही 110 मरीज इंजेक्शन लगवाने आ चुके हैं।

वैसे तो नगर में बंदरों का आतंक तो वर्षो पुराना है जिससे निजात पाने के लिए जनता मांग भी करती रही है और कई बार नगर पालिका परिषद ने उनकी धरपकड़ कर बाहर भेजने के लिए वन विभाग से सम्पर्क भी किया था लेकिन उन्होंने साधन और इस कार्य की ट्रेनिंग न होने की बात कहकर इनकार कर दिया था। हालांकि पालिका प्रशासन ने बन्दर पकडने वाली निजी संस्था से भी सम्पर्क किया था लेकिन बजट पर मामला फंस जाने के चलते व्यवस्था भंग हो गई थी। लेकिन नगर में बंदरों की बढ़ती आबादी के साथ उनके आतंक का आलम यह है कि ज्यादातर लोग अपनी छतो पर नहीं जा पाते हैं। शरद शुक्ला रावगँज के अनुसार दरवाजा खुला रह गया तो घर का सामान गायब हो जाता है। इतना ही नहीं मौका मिलते ही वह हमला करने से नही चूकँते है।

बुधवार शाम नगर निवासी समद नामक 11 वर्षीय किशोर को उन्होनें ऐसे काटा कि डॉक्टर को उसका खून बंद करने के लिए काफी मशक्कत करनी पडी थी इसके अलावा इस सप्ताह रामकली हरीगँज, रामदुलारी तरीबुल्दा, खुशबू मनीगँज, सहित जुलाई माह में 110 लोग कुत्ता और बंदरों का शिकार हो चुके हैं। वही नगर में आवारा कुत्तों की संख्या भी बढ़ गयी है और आबादी बढ़ने के साथ उनका आतंक भी बढ़ गया है। नगर निवासी सौरभ गुप्ता, माजिद हुसैन, दिव्यगोपाल, नमन अग्रवाल कहते हैं कि पहले की अपेक्षा अब कुत्तों की आबादी और बढ गयी है जिसके वजह से नगर में देर सबेर जाना भी मुश्किल हो रहा है। उनका झुंड जगह जगह मौजूद रहकर लोगों पर हमला बोल रहे हैं जिसके चलते बड़ी परेशानी हो रही है। सीएचसी के चिकित्सक डॉक्टर विशाल सचान के अनुसार कुत्ता और बन्दर काटने की घटनाएं यहां काफी है जिसके चलते एन्टी रैबीज के इंजेक्शन की यहां जिले से अधिक खपत होती है।

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