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दस्तक अभियान की टीम ने टीबी के नौ नए मरीज निकले, जबकि बुखार के 143 मरीज खोजे गए

स्वास्थ्य विभाग की अगुवाई में 11 विभागों के सहयोग से चला अभियान

उरई/जालौन। माधौगढ़ ब्लाक क्षेत्र के एक गांव निवासी 29 वर्षीय युवक को महीने भर से खांसी आ रही थी। युवक ने बताया कि वह गांव में खेती किसानी करता है। दस्तक अभियान के दौरान जब टीम ने लक्षण पूछे तो उसने खांसी आने की बात कही। टीम ने जांच की सलाह दी तो टीबी की पुष्टि हुई। अब उसने टीबी का इलाज लेना शुरू कर दिया है।

इसी क्षेत्र के एक गांव के साठ वर्षीय बुजुर्ग ने बताया कि छाती में भारीपन रहता था। कभी कभार कफ में खून भी आ जाता था। कमजोरी समझकर घर में ही इलाज ले रहे थे। तभी दस्तक अभियान में टीम घर पहुंची तो पता चला कि यह टीबी के लक्षण है। जांच कराने पर टीबी की पुष्टि हुई। अब माधौगढ़ सीएचसी के माध्यम से इलाज शुरू करा दिया है। दस्तक अभियान में टीबी के नौ नए मरीज खोजे गए हैं।

जिले में स्वास्थ्य विभाग की अगुवाई में 11 विभागों के सहयोग से चलाए गए संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान में बुखार, क्षय रोग और कुपोषित बच्चों की खोज की गई। अभियान के दौरान लोगों को बीमारियों और सफाई को लेकर जागरुक किया गया। साथ ही नए मरीजों की खोज की गई।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ जीएस स्वर्णकार ने बताया कि एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक चले संचारी रोग नियंत्रण अभियान में 1745 स्कूली बच्चों के सहयोग से रैलियां निकाली गई। 573 गांवों में प्रभातफेरियां भी निकाली गई। गांव में अभियान चलाकर 5405 गलियों की सफाई की गई तो शहरी क्षेत्र में 4983 नालियों की सफाई की गई। 402 जगह सुअर पालकों का संवेदीकरण किया। 136 जगह बैठकें आयोजित कर चूहों और छछूदरों से होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों को समझाया गया।

उन्होंने बताया कि 17 से 30 अप्रैल तक चले दस्तक अभियान में 1150 आशा कार्यकर्ताओं की टीम ने 2.50 लाख घरों में घर घर जाकर सर्वे किया। इसमें 143 बुखार के रोगी खोजे गए। जिनमें 121 की मलेरिया संबंधी जांच कराई गई लेकिन कोई मलेरिया का नया मरीज नहीं मिला। खांसी, बुखार संबंधी क्षय रोग के लक्षण वाले संभावित 45 रोगी खोजे गए और उन्हें क्षय रोग की जांच और इलाज कराने के सरकारी अस्पताल में सलाह दी गई। अभियान में नौ मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। अभियान में 93 कुपोषित बच्चे भी खोजे गए। इसमें 41 बच्चों के अभिभावकों को इलाज कराने की सलाह दी गई।

चिकित्सा अधिकारी डॉ एनडी शर्मा ने बताया कि अभियान में पशुपालन, कृषि, उद्यान, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, नगर निकाय, सिंचाई विभाग, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस विभाग का भी सहयोग लिया गया था। अभियान में लगी टीमों ने अच्छा काम किया है। जो भी मरीज खोजे गए है, उनके इलाज की व्यवस्था कराई जा रही है।

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