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कष्टों को दूर करने वाली हैं मां सिंह वाहिनी, मंदिरों में लगातार बढ़ रही भक्तों की भीड़

कोंच (पीडी रिछारिया) चैत्र नवरात्र में दिनों दिनों मंदिरों में दुर्गा मां के दर्शनों को श्रद्घालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। प्रतिपदा को बोए गए जवारों के दिवालों में देवी गीतों और अचरियों से भक्त मैया को रिझाने में लगे हैं। मां सिंह वाहिनी के मंदिर में भी सुबह शाम जलाभिषेक और दर्शन करने वालों का तांता लगा है। मां सिंह वाहिनी को लेकर यहां के लोगों में गहरी आस्था है कि उनके दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

नगर के दक्षिण पूर्व में आबादी से लगभग हट कर स्थित मां सिंह वाहिनी के मंदिर में दर्शनों के लिए बैसे तो साल भर ही दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र में यहां इतनी भीड़ होती है कि तिल धरने को भी जगह नहीं मिलती। सुबह जलाभिषेक और सायंकाल से देर रात्रि तक मैया के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। बूढे बुजुर्ग बताते हैं कि मैया के दरबार में जो भी मुराद मांगी जाए वह पूरी होती है और इसी लिए यह मंदिर श्रद्घालुओं की आस्था का केंद्र बना रहता है। अलस्सुबह से ही सिंहवाहिनी मंदिर, बड़ी माता मंदिर, धनुताल स्थित काली मैया, नारायणपुरी मंदिर, नक्टी माता, शीतला माता, फरफरादेवी, आनंदी माता, बोदरी माता भारत माता आदि मंदिरों में जलाभिषेक के लिए महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। सिंहवाहिनी मंदिर के मुख्य पुजारी सीताराम पंडा के निर्देशन में मैया के नित नए नयनाभिराम श्रृंगार किया जा रहा है।

बड़ी माता मंदिर भी आजकल किसी तीर्थ की तरह लग रहा है, यहां प्रतिष्ठित नौ देवियों की पूजा अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगा है। नगर व क्षेत्र के विभिन्न दिवालों में मैया के साक्षात् स्वरूप जवारे बोए गए हैं। विद्वान ब्राह्मणों के अनुसार जवारे धन धान्य के प्रतीक हैं और उनका अंकुरण फसलों की पैदावार का संकेत देने वाला होता है। इन्हें आदिशक्ति का साक्षात् स्वरूप भी माना गया है और वही मान्यता यहां बुंदेलखंड इलाके में है। रात्रि में जवारों के दिवालों में महिलाओं द्वारा मैया को प्रसन्न करने के लिए देवी मां के भजन और अचरियां गाईं जा रहीं हैं।

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