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नए परिंदों के हक में उड़ान रहने दें, जमीं तो बांट चुके हो आसमान तो रहने दें : सुनील कांत तिवारी

गुप्तेश्वर मंदिर में संपन्न हुई वागीश्वरी साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी

कोंच/जालौन। वागीश्वरी साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित की गई जिसमें गीतों और कविताओं ऐसी रसधार बही कि श्रोता आनंद में डूबते उतराते रहे। गोष्ठी संस्था अध्यक्ष अरुण कुमार वाजपेयी की अध्यक्षता एवं समाजसेवी रामसहाय सेठ सिकरी वाले के मुख्य आतिथ्य व नगर के जानेमाने विद्वान पंडित लल्लू राम मिश्रा शास्त्री एवं कवि डॉ. एलआर श्रीवास्तव के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुई। संचालन सुनील कांत तिवारी ने किया। मंच के माध्यम से पत्रकार असद अहमद, डॉ. एलआर श्रीवास्तव व भास्कर सिंह माणिक्य को सम्मानित किया गया।

अतिथियों द्वारा मां वीणापाणि की प्रतिमा पर पूजन अर्चन और दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुई गोष्ठी में संतोष तिवारी ने वाणी वंदना पढी। सामाजिक और राजनैतिक सरोकारों को लेकर गहरे तक तंज कसने वाले उदीयमान कवि सुनील कांत तिवारी ने रचना पाठ किया, ‘नए परिंदों के हक में उड़ान रहने दें, जमीं तो बांट दी है आसमान रहने दें।’ राजेंद्र सिंह गहलोत ने कविता बांची, ‘अल्फाज मचा देते हैं दुनिया में तहलका, अल्फाज ही आगाज मोहब्बत की पहल का।’ अंतरराज्यीय मंचों के अभिनंदित कवि एवं साहित्यकार नरेंद्र मोहन मित्र ने प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कही, ‘अल्पता में श्रेष्ठता का ज्ञान हो शून्यता में पूर्णता का भान हो, लक्ष्य पाकर भी रहे संयम सदा विद्वता में नम्रता का ध्यान हो।’ मुन्ना यादव ने रचना पाठ किया, ‘निगाहें वही हैं बस काजल बदल गए हैं ये आसमां वही है बस बादल बदल गए हैं।’ नंदराम स्वर्णकार भावुक ने रचना बांची, ‘क्या खोना क्या पाना मुश्किल है समझ पाना, जीवन की हकीकत है बस आना और जाना।’ भास्कर सिंह माणिक्य ने कहा, ‘दमके फूल पलाश के फागुन लाया संग, झूम उठे हैं बाग में भौंरे पीकर भंग।’ संजय सिंघाल ने कहा, ‘मोहब्बत के जलाकर दीप जगमग रोशनी कर लो, निभाकर फर्ज अपना सब खुशी से जिंदगी भर लो।’ संतोष तिवारी सरल ने रचना पाठ किया, ‘हमारा होली का त्योहार है न्यारा होली का त्योहार, मिलजुल कर रहना सिखलाता संस्कृति का आधार।’ अरुण वाजपेयी दर्शन, आशाराम मिश्रा ने भी कविताएं पढीं। इस दौरान कृष्ण कुमार बिलैया, चंद्रशेखर नगाइच मंजू, मुन्नालाल अग्रवाल लोहे वाले, मयंक मोहन गुप्ता, नारायण दास, रामबिहारी सोहाने, रमनलाल, संतोष राठौर, नंदकिशोर, लक्ष्मीनारायण आदि मौजूद रहे।

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