दो साल पहले से स्वीकृत हुए सामी और भेंड़ के बिजली घरों के निर्माण का अभी तक कोई अता-पता नहीं
भेंड़ में जमीन मिली, सामी में चल रहा है अन्वेषण का काम

कोंच/जालौन। तहसील क्षेत्र में पहले से बने 33/11 विद्युत उपकेंद्रों पर अत्यधिक लोड होने के कारण दो और उपकेंद्र बनाने की स्वीकृति दो साल पहले ही शासन ने दे दी थी ताकि बिजली की किल्लत से लोगों को निजात मिल सके। पहले कोंच विकास खंड के गांव सामी और लगे हाथ नदीगांव विकास खंड के गांव भेंड़ में 33/11 विद्युत उपकेंद्रों के निर्माण को शासन की मंजूरी मिलने के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो साल से भी अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद इन बिजली घरों के निर्माण का कोई ओरछोर नजर नहीं आ रहा है। भेंड़ में बिजली घर बनाने के लिए जमीन मिल चुकी है जबकि सामी में जमीन की खोज का काम चल रहा है। विभागीय अधिकारियों की अगर मानें तो इनके निर्माण का काम शुरू होने में अभी और वक्त लग सकता है।
तहसील क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में हालांकि कैलिया और नदीगांव में पहले से ही 33/11 केवीए के दो विद्युत उपकेंद्र काम कर रहे हैं लेकिन विद्युत आपूर्ति को और भी बेहतर बनाने एवं लो वोल्टेज की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए विकास खंड कोंच के ग्राम सामी में साढ़े तीन करोड़ की लागत और नदीगांव विकास खंड के ग्राम भेंड़ में चार करोड़ की लागत से 33/11 केवीए विद्युत सब स्टेशनों के निर्माण को करीब दो साल पहले ही शासन से मंजूरी मिल गई थी। इनके निर्माण के लिए एक गांव भेंड़ में भूमि की तलाश पूरी हो चुकी है जबकि दूसरे गांव सामी में अन्वेषण का काम जारी है।
एसडीओ अनिरुद्ध कुमार मौर्य ने बताया कि दोनों गांवों में बनने वाले 33/11 केवीए उपकेंद्रों की क्षमता पांच-पांच एमवीए की होगी। सामी उपकेंद्र का निर्माण हो जाने के बाद 22 गांवों को विद्युत आपूर्ति सुचारु रूप से मिलने लगेगी। साथ ही कैलिया स्थित 33/11 केवीए उपकेंद्र का लोड जो वर्तमान में 220 से 230 एंपीयर है घटकर 130 से 140 एंपीयर तक रह जाएगा। देवगांव फीडर का लोड भी 280-310 एंपीयर से घटकर 145-170 एंपीयर हो जाएगा। लो वोल्टेज की समस्या से भी लोगों को राहत मिलेगी। इसी तरह ग्राम भेंड़ में भी 33/11 केवीए विद्युत उपकेंद्र के लिए भी भूमि अन्वेषण का काम पूरा हो चुका है। वहां बिजली घर के निर्माण पर चार करोड़ की लागत आएगी। विभाग के पास पैसा भी है और उपकेंद्र निर्माण के लिए 300 वर्ग मीटर भूमि भी उपलब्ध है।
उपकेंद्र के निर्माण से सबसे अधिक लाभ नगर के उपभोक्ताओं को मिलेगा क्योंकि 180 एंपीयर का भार नगर स्थित विद्युत उपकेंद्र से कम हो जाएगा जिससे बिजली आपूर्ति सुचारु होगी और लो वोल्टेज की समस्या का निदान हो जाएगा, साथ ही 25 गांवों के ग्रामीणों को उपकेंद्र का सीधा लाभ मिलेगा। जालौन के उपभोक्ताओं को भी बिजली घर के निर्माण से राहत मिलेगी क्योंकि भेंड़ में जिस जगह उपकेंद्र का निर्माण किया जा रहा है वह स्थान जालौन के भी करीब है। हालांकि भेंड़ गांव में बनने वाले 33/11 विद्युत उपकेंद्र के निर्माण में देरी का एक बड़ा कारण बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण भी रहा है क्योंकि ग्राम सिकरी एवं अंबरगढ के पास बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर ओवर ब्रिज का निर्माण किया जाना था। दरअसल, विभागीय अभियंताओं ने जिस समय उपकेंद्र निर्माण का सर्वे किया था उस समय ब्रिज निर्माण का उन्हें पता नहीं था। हालांकि बाद में उपकेंद्र के प्राक्कलन में संसोधन कर उसे भी स्वीकृत करा लिया गया है। इसका संशोधित प्राक्कलन 4 करोड़ है और 50 वाई 60 मीटर भूमि भी गांव के बाहर मिल चुकी है।
निर्माण शुरू होने में अभी भी लग सकता है सात आठ महीने का वक्त –
एसडीओ सेकंडरी वर्क्स धर्मेंद्र का इस बाबत कहना है कि इन दोनों बिजली घरों को आरडीएसएस में लिया गया है जिनका निर्माण दूसरे फेज में कराया जाएगा। अभी इनके निर्माण का काम शुरू होने में कम से कम सात आठ महीने का समय और लगेगा। भेंड़ की जमीन कन्फर्म हो चुकी है जबकि सामी में भूमि चयन की प्रक्रिया चल रही है, वहां भी जल्द ही जमीन मिलने की उम्मीद की जा सकती है।