आखिर विकास के एजेंडे से कैसे पीछे रह गया जिले का ऐतिहासिक नगर कालपी

कालपी/जालौन। कहते हैं कि भाजपा सरकार का एजेंडा ही विकास है जिसमें कहते है सबका साथ सबका विकास अब कालपी ने भाजपा का किस हद तक साथ दिया और कितना विकास हुआ यह बताने की आवश्यकता नहीं समझता। सत्तारूण राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा ही नये नये प्रयोग कर 220 कालपी विधानसभा के अपने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की परीक्षा ही ली है कालपी का बलिदान ही किया पर इस पौराणिक नगर के इतिहास और औद्योग व्यापार और धार्मिक महत्व को सुरक्षित संतक्षित तथा विकसित करने का काम नहीं किया।
कार्यकर्ताओं की परीक्षा और कालपी के बलिदान से मेरा तात्पर्य है ऐसे अवसर जब यहां भारतीय जनता पार्टी का विधायक जीत सकता था पर कभी प्रत्याशी बदलकर और कभी गठबन्धन के नाम से सीट अन्य दल को देकर यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं तथा मतदाताओं को घोर संकट में डालकर कड़ी परीक्षा ली और कालपी की बलि चढ़ा दी। खैर कार्यकर्ता और मतदाता इसे पार्टी का निर्णय समझ कर सिरोधार्य करते रहे और संगठन तथा पार्टी हाई कमान का आदेश मानकर पूरी लगन मेहनत और ईमानदारी से काम करते रहे पर बदले में क्या मिला अगर गौर से देखा जाये तो जनपद की उरई माधौगढ़ और कालपी तीनों विधानसमाओं में सबसे पिछड़ी विधान सभा है कालपी अधिकांश समय तक दस्यु समस्या से जूझती रही इस विधान सभा में यमुना बेतवा नून नरी और तमाम नालों के चलते ऊंची नीची खेती और बीहण बाहुल्य क्षेत्र में किसानों के आगे सबसे बडी़ दिक्कत सिचाई के साधनों की कमी है नहर बम्बा तो बन नहीं सकते वहीं सरकारी नलकूप ही सिचाई के लिए कामयाब है जो बहुत कम संख्या में है।
बीहड़ क्षेत्र के तमाम गांव आजादी के 75 वर्षों के बाद भी शिक्षा स्वास्थ सड़क और सिचाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वहीं अगर देखा जाए विधान सभा के मुख्यालय नगर कालपी के सूरते हाल को तो किसी भी ऐंगल से नहीं लगता कि यह विधानसभा का मुख्यालय है। यहां के पारम्परिक उद्योग धंधो पर ग्रहण लग गया है नगर की सड़कें पूरी तरह ध्वस्त हैं। शिक्षा पर व्यापार हाबी हैं! नगर के तीन ओर वन विभाग की भूमि और एक ओर यमुना की वजह से विकास अवरुद्ध है। यहां जो भी जनप्रतिनिधि बने उन्होंने क्षेत्र के विकास से अधिक स्वयं के विकास पर ध्यान दिया।
भले ही इतिहास के पन्नों मैं पौराणिक ऐतिहासिक धार्मिक और व्यापारिक क्षेत्र में कालपी का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो पर वर्तमान समय में नगर पूरी तरह खण्डहर होता जा रहा है यहां कुछ भी सुरक्षित नहीं है चाहे धार्मिक स्थल हों ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहर हों शिक्षा स्वास्थ्य सड़क हो सब कुछ मिटता ही जा रहा है। आज कालपी के अस्तित्व को बचाने कालपी क्षेत्र के विकास के लिए कोई मसीहा नजर नहीं आ रहा है और साल दर साल यहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।