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मिर्गी छुआछूत या संक्रमण की नहीं बल्कि न्यूरो सिस्टम से संबंधित बीमारी

मरीज के साथ परिजनों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत

उरई/जालौन। मिर्गी न्यूरो सिस्टम से संबंधित एक विकार है जिसमें मिर्गी रोगी को दौरे पड़ने की बीमारी होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। हालांकि 12 साल से अधिक आयु के लोगों में यह अधिक पाई जाती है और यह बुढ़ापे में बढ़ जाती है। मिर्गी रोगी बेहोशी या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार कर सकता है। मिर्गी किसी तरह की छुआछूत या संक्रमण की बीमारी नहीं है। मिर्गी के मरीज की झाड़फूक कराने की बजाय उसका विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराने की जरूरत होती है। यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी एनसीडी डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बतायी।

डॉ. सिंह ने बताया कि मिर्गी रोगी के बारे में सबसे पहले उसकी केस हिस्ट्री को समझा जाता है। उसकी बीमारी के कारण का पता लगाया जाता है। अधिकांश बीमारियां मस्तिष्क में चोट लगने के कारण होती है। कुछ मामलों में यह अनुवांशिक भी होती है। मिर्गी रोगी के साथ परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उनको रोगी के साथ सावधानी बरतनी चाहिए।

जिला अस्पताल के मनकक्ष में तैनात क्लीनिकल सायकोलाजिस्ट अर्चना विश्वास बताती है कि उनके पास जो केस आते है। उनमें मरीज के साथ उनके परिजनों की भी काउंसलिंग और थेरेपी भी की जाती है। बेहोशी की हालत में पानी न पिलाएं। न ही हाथ पैर टेढ़े होने पर छेड़छाड़ करें। बल्कि उसे नजदीकी चिकित्सक को दिखाएं। मिर्गी रोगी के साथ समाज और परिवार के सहयोग की जरूरत होती है। ऐसा माहौल विकसित करना चाहिए कि उसका मन अच्छा रहे। बच्चे की बीमारी के बारे में उसके चिकित्सक को भी बताना चाहिए। उन्होंने बताया कि मनकक्ष में होने वाली सौ व्यक्तियों की काउंसलिंग में 8 से 11 मरीज मिर्गी रोग से संबंधित आते हैं।

मिर्गी रोगी के साथ रखे सामान्य व्यवहार :-
मनोचिकित्सक डॉ. बीमा चौहान ने बताया कि मिर्गी रोगी के साथ सामान्य व्यवहार रखे। घबराए नहीं। ऐसे मरीजों को मौसमी फल और सब्जियां लेने की सलाह दी जाती है। बाजार के पैक्ड फूड न दें। मिर्गी आने पर चिकित्सक के पास आकर इलाज लेना चाहिए।

केस-1 शहर के पाठकपुरा निवासी 63 साल के बुजुर्ग ने बताया कि वह दो बार बाइक से गिर गए थे। इसके बाद उन्हें मिर्गी की समस्या हो गई। अब घर से निकलते वक्त घबराहट होती है कि कहीं दौड़े आने के कारण वह फिर न गिर जाए। इस पर मनकक्ष में उनकी काउंसलिंग की गई और परिजनों को सलाह दी गई है कि उनकी जेब में पता रखे और समस्या होने पर इलाज लेते रहे।

केस-2 कालपी निवासी 17 साल के सारव को भी मिर्गी के दौरे आते है। परिजनों ने बताया कि बचपन से ही उसके साथ ऐसी समस्या है। उनके परिवार की काउंसलिंग करने के बाद परिजनों को झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी गई।

मिर्गी के लक्षण :-
मरीज का अर्द्ध मूच्छित हो जाना
मुंह से झाग या फेना आना
होंठ और चेहरा नीला पड़ जाना
जीभ का कट जाना
घबराहट, बेचैनी होना
सिरदर्द का होना

कारण :-
मस्तिष्क की कमजोरी के कारण
मस्तिष्क में गंभीर चोट लगना
दिमागी बुखार आना

सावधानियां :-
– रोगी की तैराकी, ड्राइविंग, खतरनाक मशीनों पर काम करना से बचाव करना चाहिए
– नियमित रुप से दवा सेवन और डाक्टर की सलाह लेना
– खाली पेट न रहे, शराब आदि का सेवन न करें।
– सात से आठ घंटे की पर्याप्त नींद लें।

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