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अन्‍तर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर विशेष ! फाइलेरिया उन्मूलन में अहम भूमिका निभा रहीं महिला स्वास्थ्य कर्मी

उरई/जालौनस्वास्थ्य विभाग में तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मी अपने काम से नाम कमा रही है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे सर्वजन दवा सेवा अभियान (एमडीए) में दो महिला स्वास्थ्य कर्मी ने अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने लोगों को फाइलेरिया जैसी लाइलाज बीमारी के बारे में जागरुक कर दवा खिलाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही नए मरीजों की खोज में भी काम किया।

पिता से प्रेरित होकर भावना कर रही फाइलेरिया मरीजों की मदद –
इटावा निवासी भावना वर्मा जिले की फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में बायोलाजिस्ट के पद पर तैनात है। उन्होंने फाइलेरिया रोगियों के सर्वे और उनके इलाज में काफी मदद की है। नाइट सर्वे के दौरान फाइलेरिया के संभावित मरीजों के सैंपलिंग का काम हो या फिर उनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद उनके पंजीकरण के बाद उनका इलाज कराने का काम। यह सभी काम भावना पूरी जिम्मेदारी से निभाती है। भावना के पिता रविदास भी स्वास्थ्य विभाग में मंडलीय कीट वैज्ञानिक के पद पर झांसी में तैनात है। भावना को इस विभाग के बारे में उनके पिता से सीख मिली। पिता जिस तरह जिम्मेदारी से काम करते थे। भावना भी उनसे प्रेरित हुई और उन्होंने लोगों की सेवा के लिए स्वास्थ्य विभाग में कैरियर बनाने की सोची। उनकी पहली पोस्टिंग अप्रैल 2018 में बांदा जनपद में बायोलाजिस्ट के पद पर हुई। जुलाई 2022 में उनकी उरई में पोस्टिंग हो गई। वह बताती है कि फाइलेरिया के मरीजों की खोज के लिए उन्होंने टीम वर्क के साथ काम किया। लगातार स्वास्थ्य केंद्रों के साथ समन्वय बनाकर काम किया। सभी सीएचसी, पीएचसी पर लिंफोडीमा रोगियों के प्रबंधन केलिए प्रशिक्षण देकर किट उपलब्ध कराई गई। यही नहीं जहां भी नए केस मिल रहे है, उनका तत्काल प्रबंधन का काम भी किया जा रहा है। जहां मरीजों ने फाइलेरिया की दवा नहीं खाई उन्हें दवा खिलाने के लिए प्रेरित किया।

दवा खाने वालों को अपने साथ जोड़कर दूसरों को भी दवा खिलाई –
महेबा ब्लॉक के मुसमरिया गांव की आशा कार्यकर्ता कांति देवी ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे एमडीए अभियान में बखूबी काम किया है। कांति देवी बताती है कि उनके पति शशिकांत मजदूरी करते है। उनके दो बच्चे हैं। वह भी उनके साथ सहयोग करते रहते हैं। उनके क्षेत्र में दो फाइलेरिया के मरीज है। उन्होंने सभी को दवा खिलाने का काम किया। कुछ लोगों ने जब दवा खाने से इंकार किया तो उन्हें फाइलेरिया (हाथी पांव) की भयावहता के बारे में बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा न खाने से फाइलेरिया बीमारी फैल सकती है। इस बीमारी के लक्षण तत्काल उभरकर नहीं आते है। इस बीमारी के उभरने में करीब दस साल लग जाते हैं। इसलिए दवा का सेवन जरूर करें। उनके समझाने पर कई लोगों ने दवा का सेवन भी कर लिया है। जिन लोगों ने दवा नहीं खाई है। उनकी सूची भी उन्होंने तैयार कर ली है। इसे सुपरवाइजर को दे दी है। वह बताती है कि टीम के साथ शत प्रतिशत परिवारों को दवा खिलाने का काम करेगी। वह बताती है कि गांव में कई लोग ऐसे भी थे, जो खुद दवा मांगकर खा रहे थे। जबकि कुछ दवा को लेकर भ्रम भी फैला रहे थे। ऐसे लोगों को समझा बुझाकर दवा खिलाई गई। साथ ही जो लोग दवा खा चुके थे, उन लोगों को अपने साथ जोड़कर दूसरों को दवा खिलाने के लिए प्रेरित किया। महेबा ब्लाक के बीसीपीएम अनिल कुमार का कहना है कि कांति जिम्मेदारी से काम कर रही है।

फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खाना जरूरी –
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजीज डॉ अरविंद भूषण का कहना है कि जिले में 19.43 लाख के सापेक्ष अब तक करीब 15 लाख लोगों ने दवा का सेवन कर लिया है। टीम वर्क के साथ काम किया जा रहा है। इसमें कुछ लोगों का काम सराहनीय है। फाइलेरिया से बचाव के लिए सभी को दवा खाना जरूरी है। इसलिए बिना किसी भ्रम के सभी लोग दवा का सेवन करें। इससे फाइलेरिया से बचाव किया जा सकता है। जिले में इस समय फाइलेरिया के 705 रोगी चिह्नित है।

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