अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस ! आत्मीय व्यवहार से मरीज को जल्द स्वस्थ बनाती हैं नर्स

उरई/जालौन। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर साल 12 मई को मनाया जाता है। पेशेवर नर्सिंग की शुरूआत करने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस को नर्सिंग दिवस के रुप में मनाया जाता है। नर्सिंग को सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रुप में माना जाता है। शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सभी पहलुओं के माध्यम से रोगी की अच्छी तरह से देखभाल करने का काम नर्से कर रही है। कोविड के दौरान भी नर्सों ने चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी सेवाएं दीं।
सफेद ड्रेस पहनकर सेवा करने में मिलती है संतुष्टि –
जिला महिला अस्पताल में मेट्रन के पद पर तैनात ऊषा यादव वर्ष 1987 में नर्सिंग सेवा में आई थी। उनकी पहली पोस्टिंग जिला अस्पताल में हुई थी। वर्ष 2004 में वह जिला महिला अस्पताल में तैनात हुई। तबसे उन्होंने मरीजों की सेवा कर रही हैं। वह बताती हैं कि नर्सिंग सेवा में आने की प्रेरणामां कमला देवी सेमिली| उन्हें सफेद ड्रेस में काम करने वाली नर्सो का सेवाभाव अच्छा लगता था। इसीलिए उन्हें भी बचपन से ही नर्स बनने का शौक था और वह मरीजों की सेवा करना चाहती थीं। सेवाकाल में कई बार उन्हें अलग अलग सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2016 एवं 2017 में दो बार पीसीआईयूसीडी की सेवाओं के लिए तत्कालीन डीएम ने सम्मानित किया है। उनकी बेटी मोनिका इस समय बीएचएमस करने के बाद कानपुर में प्रैक्टिस कर रही है। जबकि बेटा एमबीए करने के बाद निजी व्यवसाय चला रहा है। वह कहती है कि नौकरी के दौरान कई बार उतार चढ़ाव भी आए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दिसंबर 2021 में उन्हें मेट्रन की भी जिम्मेदारी दे दी गई है। जिसे वह सभी के सहयोग से बखूबी निभा रही है। वह कहती है कि नर्सिंग का काम सेवा का है।
सास की मदद से नर्सिंग सेवा में आई, जिम्मेदारी से निभा रहीं ड्यूटी –
जिला महिला अस्पताल में आरती परिहार भी वर्ष 2015 से जिला महिला अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात हैं। आरती की प्रेरणास्रोत उनकी सास नीलम परिहार हैं। वह बताती है कि उनकी शादी वर्ष 2007 में हुई थी। वह सास को नौकरी करते हुए देखती थी। उनका मन भी नर्सिंग सेवा में जाने काहोने लगा था। उन्होंने अपनी सास से इच्छा जाहिर की तो सास ने मना नहीं किया। तत्काल उनका फार्म डलवाया और ट्रेनिंग कराई। ट्रेनिंग के बाद उनकी जिला महिला अस्पताल में नौकरी लग गई। वह बताती है कि वर्ष 2020 में उनके कार्यों के लिए कायाकल्प योजना के अंतर्गत उन्हें सम्मानित किया गया। वह कहती हैं कि उन्हें जो भी ड्यूटी के दौरान जिम्मेदारी दी जाती है, उसे पूरी शिद्दत के साथ निभाती है। उनका सात साल का बेटा और दस साल की बेटी है। 14 मई 2021 को उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जब उनके रियल स्टेट का कारोबार करने वाले पति का बीमारी के कारण निधन हो गया। कोरोना काल में हुए निधन के कारण उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने खुद को संभाला। अब अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए ड्यूटी कर रही है। आरती का कहना है कि कई बार मरीज के तीमारदार हंगामा करते है लेकिन खुद को संयमित करते हुए काम करती है। सेवा के इस काम में उन्हें संतुष्टि मिलती है।
मरीज के साथ आत्मीय संबंध रखती हैं नर्सेँ –
जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके त्रिपाठी का कहना है कि नर्सों का काम चिकित्सक के समान ड्यूटी वाला होता है। वह मरीज की चिकित्सक से ज्यादा सेवा करती हैं । उनका मरीज के साथ अलग लगाव हो जाता है। वह अपनी सेवाओं से मरीजों का आधी बीमारी ठीक करने का काम करती है। आधी बीमारी स्टाफ के आत्मीय व्यवहार से ठीक हो जाती और आधी बीमारी दवा और खानपान से ठीक हो जाती है। उन्होंने नर्सिंग डे पर स्टाफ को बधाई दी है।