कोरोना से मृत आशा कार्यकर्ता के परिजनों को पचास लाख रूपये की हुई मदद
उरई/जालौन। कोविड-19 संक्रमित होने के बाद मृत आशा कार्यकर्ता के परिवार को शासन की ओर से पचास लाख रुपये की मदद पहुंचाई गई है। यह धनराशि उनके बेटे के खाते में भेजी गई है।
नदीगांव ब्लाक के ग्राम कन्हरपुरा निवासी आशा कार्यकर्ता सुनीता एक मई 2021 को कोरोना संक्रमित हो गई थीं। उनके फेफड़ों में संक्रमण फैल गया था। ग्वालियर में इलाज के दौरान तीन जून 2021 को उनकी मौत हो गई। मौत के बाद सुनीता के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सुनीता के बेटे आनंद ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी। इस पर तत्काल स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहल शुरू हो गई। कोरोना काल में मौत हो जाने की दशा में एकमुश्त पचास लाख रुपये की सहायता राशि परिजनों के लिए बड़ा सहारा बन रही है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एनडी शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज इंश्योरेंस स्कीम फार हेल्थ वर्कर फाइटर्स कोविड 19 के तहत कोविड के दौरान ड्यूटी करने वाले सभी हेल्थ वर्कर का इंश्योरेंस होता है। ड्यूटी के दौरान संक्रमण होने के बाद मौत होने की स्थिति में पचास लाख रुपये की धनराशि दी जाती है।
डीसीपीएम डा. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि परिवार के सदस्यों ने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने सभी पत्रावलियां तैयार कराई और उसे जमा कराया। इसके बाद शासन स्तर से पचास लाख की धनराशि आश्रित के खाते में भेजी गई है। सुनीता के परिवार में पति बलवीर सिंह, दो बेटे अरुण सिंह व आनंद सिंह है जो खेती करते हैं। जबकि एक शादीशुदा बेटी चांदनी है तो दो अन्य बेटी रोशनी, प्रकाशनी है जो स्नातक की पढ़ाई कर रही है। परिवार के सदस्य कहते है कि कोरोना से मां की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया था। शासन से सहायता राशि मिली, जो परिवार के लिए सहारा बन रही है। परिजन बताते है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मदद की, जिसकी वजह से ज्यादा परेशानी नहीं हुई और शासन से धनराशि खाते में आ गई। परिजनों का कहना है किसी एक सदस्य को आशा कार्यकर्ता की नौकरी भी दी जाए।