स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन संगीत के स्वर्णिम युग का अंत, संगीत के जानकों ने जताया शोक

कोंच (पीडी रिछारिया) अपने सुमधुर स्वर से दशकों तक देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी संगीत की दुनिया में अपनी अविराम छवि स्थापित करने और संगीत प्रेमियों के दिलो दिमाग में गहराई तक बसने वाली स्वर कोकिला देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत लता मंगेशकर का रविवार की सुबह 92 वर्ष की आयु में निधन हो जाने पर स्थानीय संगीत प्रेमियों ने उनके निधन को संगीत के स्वर्णिम युग का अंत बताया है और गहन शोक व्यक्त करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।
लता जी के निधन से संगीत जगत को गहरा आघात लगा है – ग्यासी लाल
अमरचंद्र महेश्वरी इंटर कॉलेज के सेवानिवृत्त संगीत शिक्षक ग्यासी लाल याज्ञिक ने कहा कि लता मंगेशकर के निधन से संगीत जगत को गहरा धक्का लगा है जिसकी भरपाई असंभव है।उन्होंने कहा कि लता जी ने अपने मधुर स्वर से करोड़ों संगीत प्रेमियों को जीने का अहसास कराया। उनके गाए गए देशभक्ति के गीत रोमांच पैदा करने वाले हैं जिन्हें आजादी के दीवाने अपने साथ लेकर चले।
आने वाली पीढ़ियों के दिलों में भी जीवंत रहेगी उनकी सुनहरी आवाज – वीरेंद्र त्रिपाठी
अशोक शुक्ला महिला महाविद्यालय में प्रवक्ता जानेमाने रंगकर्मी वीरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि लता जी के गीत व उनकी सुनहरी आवाज पीढ़ियों तक हम सबके साथ जीवंत रहेगी। देश ने अपनी स्वर कोकिला को खो दिया है। उनके निधन से संगीत के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया। उनके निधन से न केवल भारत बल्कि विश्व भर में संगीत के दीवानों को गहरा आघात लगा है।
संगीत के स्कॉलर्स के लिए शोध का विषय हैं लता जी – तनिष्क पाठक
शास्त्रीय संगीत पर बेहद उम्दा पकड़ रखने वाली छात्रा तनिष्क पाठक ने लता मंगेशकर के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि लता जी संगीत के स्कॉलर्स के लिए शोध का विषय हैं। उनके गीत मंत्रमुग्ध कर देने वाले थे और स्वर ऐसा कि मुर्दों में भी प्राणों का संचार हो जाए। उनके निधन से संगीत की दुनिया में जो रिक्तता आई है उसकी भरपाई असंभव है।