परिवर्तन के लिए रचनाधर्मी होना होगा युवाओं को : डॉ. सरिता

कोंच (पीडी रिछारिया) पालिकाध्यक्ष डॉ. सरिता वर्मा ने विवेकानंद जयंती पर कहा कि परिवर्तन के लिये युवाओं को रचनाधर्मी होना पड़ेगा। इसके साथ ही युवाओं को निर्भीक होने की जरूरत है, डरा सहमा युवा एक सामान्य जिंदगी तो जी सकता है लेकिन उससे किसी परिवर्तन की उम्मीद नहीं की जा सकती है। यह बात उन्होंने सामाजिक संस्था भारत विकास परिषद् द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानंद जयंती पर कही।
भारत विकास परिषद् ने बुधवार को यहां अग्रवाल भवन में स्वामी विवेकानंद की 159वीं जयंती युवा दिवस के रूप में मनाई। पालिकाध्यक्षा डॉ. सरिता वर्मा के मुख्य आतिथ्य तथा भाविप के कोंच शाखा अध्यक्ष प्रह्लाद सोनी की अध्यक्षता में आयोजित जयंती समारोह में पूर्व अध्यक्ष विजय रावत, लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष ब्रजेंद्र मयंक, ब्रजबल्लभ सिंह सेंगर, गजराज सिंह सेंगर, सुनील लोहिया, रजनी डेंगरे आदि मंचस्थ अतिथियों में शुमार रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने कहा कि युवाओं के लिये समय बहुत ही कीमती होता है क्योंकि उसके पास समय बहुत कम होता है जिसमें उसे बहुत कुछ निर्धारित करना होता है। उसे अपना लक्ष्य निर्धारित करना होता है कि वह देश और समाज के लिए क्या कर सकता है। युवाओं में जोश और होश दोनों होने के साथ साथ देश के प्रति समर्पित भाव से काम करने की ललक होनी चाहिए और युवाओं को नई सोच और नवीनता की जरूरत है। संचालन राजीव रेजा ने किया, जबकि आभार शाखा कोषाध्यक्ष दिनेश सोनी जताया। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें रचनाकारों ने अपनी सम सामयिक रचनाओं के माध्यम से अपनी बात रखी। इस दौरान शाखा सचिव विजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष दिनेश सोनी, शैलेंद्र गर्ग, डॉ. नीता रेजा, नरसिंह बुंदेला, सुनीलकांत तिवारी, अरविंद कौशल, ओंकारनाथ पाठक, बलराम सोनी, दिनेश मानव, संजीव चौपड़ा, अमरेंद्र दुवे, आनंद शर्मा, प्रमोद कस्तवार, राजेंद्र निगम, रवींद्र निरंजन आदि मौजूद रहे। इधर, सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मंडी परिसर कोंच में भी स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिवस मनाया गया जिसमें प्रधानाचार्य नीरज कुमार द्विवेदी ने कहा कि यदि कोई यह पूछे कि वह कौन युवा संन्यासी था, जिसने विश्व पटल पर भारत और हिंदू धर्म की कीर्ति पताका फहराई, तो सबके मुख से निःसंदेह स्वामी विवेकानंद का नाम ही निकलेगा। उन्होंने 4 जुलाई 1902 को महासमाधि लेकर स्वयं को परमात्म में लीन कर लिया। इस अवसर पर पंकजाचरण वाजपेयी, राजीव राठौर, सुलभ अग्रवाल, मृदुल दुवे, विनीत खरे, शैलेंद्र यादव, विवेक तिवारी, प्रभा गुप्ता, शिवानी सिंह, सरला मिश्रा, नीतू गर्ग, सरोज खरे, वरुणा निरंजन, ज्योति गुप्ता, काजल अग्रवाल, प्रतीक्षा रेजा, अकांक्षा सिंह आदि उपस्थित रहे।