विश्व एड्स दिवस ! जागरुकता का दिख रहा असर, कम हो रहे एड्स पीड़ित मरीज

उरई (जालौन) एचआईवी एड्स जानलेवा बीमारी है लेकिन जागरुकता का नतीजा है कि एड्स संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार घट रही है। एड्स का कोई इलाज नहीं है लेकिन यदि सावधानी बरती जाए तो एड्स से बचाव किया जा सकता है। एड्स पीड़ित मरीज समय से इलाज लेता रहे तो वह सामान्य जीवन जी सकता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सुग्रीव बाबू बताते है कि एचआईवी एक समय घातक बीमारियों में शुमार थी और एड्स को काफी खतरनाक बीमारी माना जाता था लेकिन धीरे धीरे स्वास्थ्य विभाग की ओर से चले जागरुकता अभियान और लोगों द्वारा बरती गई सावधानी का नतीजा है कि जिले में लगातार एड्स संक्रमित मरीजों की संख्या घट रही है। उन्होंने बताया कि एड्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है। हर गर्भवती महिला की जांचों के साथ उनकी एचआईवी की भी जांच होती है। जिला अस्पताल, सीएचसी पीएचसी पर भी जांचें निशुल्क हो रही है। उन्होंने बताया कि एचआईवी एड्स असुरक्षित यौन संबंध, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की गई सुई का दोबारा इस्तेमाल, एचआईवी संक्रमित के रक्त, वीर्य के द्वारा, स्तनपान के द्वारा फैलता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि एचआईवी संक्रमित मां नियमित रुप से दवाओं का सेवन करें तो उसके बच्चे को एचआईवी से बचाया सकता है। जिले में इस समय 413 एड्स संक्रमित मरीज है। जिनका उपचार चल रहा है। जिला अस्पताल में स्थित एआरटी सेंटर में इन मरीजों का नियमित उपचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस साल की थीम भेदभाव की समाप्ति, एडस की समाप्ति तथा महामारियों की समाप्ति पर आधारित है।
एचआईवी के लक्षणों में हर वक्त थकान रहना, गले के आसपास सूजन, दस दिनों से ज्यादा बुखार, रात में पसीना आना, बेवजह वजन कम होना, सिक्न पर बैगनी रंग के दाग, जल्दी जल्दी सांसें आना
एचआईवी से बचाव के उपाय में जीवन साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध न रखें, यौन संबंध बनाते समय कंडोम आदि का प्रयोग, मादक औषधियों के आदी व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में ली गई सीरिंज व सुई का प्रयोग न करें, रक्त की आवश्यकता होने पर अंजान व्यक्ति का रक्त न लें। सुरक्षित रक्त के लिए एचआईवी जांच किया गया रक्त ही ग्रहण करें, यथासंभव डिस्पोजेबल सिरिंज उपयोग में लाएं। चिकित्सा उपकरणों को 20 मिनट पानी में उबालकर कर ही उपयोग में लायें।
वर्ष एड्स मरीजों की संख्या –
2016-17 126
2017-18 94
2018-19 87
2019-20- 93
2020-21 55
2021 अब तक 27