‘मुझे जानो’ से बाहर निकल कर परमात्मा को जानने का प्रयास करें : इंद्र देवेश्वरानंद
सप्तम दिवस विश्राम वेला में भगवान के विवाहों व सुदामा चरित्र की कथा सुनाई

कोंच (पीडी रिछारिया) कंजड़ बाबा के समीप चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में बुधवार को सप्तम दिवस की विश्राम वेला में कथा व्यास राष्ट्रीय संत इंद्र देवेश्वरानंद ने कहा, ‘मुझे जानो’ से बाहर निकल कर परमात्मा को जानने का प्रयास करें। उन्होंने कहा, सत्संग से ही बुराइयों का शमन हो सकता है। जिस प्रकार कृष्ण के सखाओं के पूर्व जन्म के पापों का नाश परमात्मा का साथ मिलने से हो गया। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है जिस प्रकार भगवान द्वारिकाधीश ने अपने परम भक्त और बालसखा सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था। परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करने वाली है। परमात्मा में आसक्त जीव भवबंधन से पार पा जाता है।
कथा व्यास ने अघासुर, वकासुर, धेनुकासुर आदि राक्षसी प्रवृत्तियों के उद्धार तथा कालिया मर्दन की कथाएं सुनाई। भगवान कृष्ण ने राधा का दर्शन करने के लिए स्त्री अर्थात भक्ति का रूप धारण किया। भगवान कृष्ण ने जिस हेतु अवतार धारण किया उस कंस का वध कर उन्होंने अपने नाना उग्रसेन को मथुरा का राजा बनाया। कथा व्यास ने भगवान द्वारिकाधीश के विवाहों सहित रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा, द्वारिकाधीश ने मित्र सुदामा की कांख में दबी पोटली से एक मुट्ठी तंदुल अपने मुख में डाल कर उन्हें द्वारिका का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। संगीतमय भजनों पर श्रोता खूब झूमे। अंत में कथा परीक्षित देवेंद्र राठौर सहित उनके अन्य परिजनों ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया। गुरुवार को हवन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।